Impedance क्या होता है ?
इम्पीडेन्स इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से जुड़ा हुआ एक शब्द है जो हमेशा पूछा जाता है। Impedance को हिंदी में प्रतिबाधा कहते है। इसे सामान्यतः अंग्रेजी के बड़े अक्षर Z द्वारा निर्देर्शित किया जाता है। इसका SI मात्रक (Ω)ओम होता है। यह एक प्रकार का प्रतिरोध होता है। यह किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का गुण नहीं है।
प्रतिघात (Impedance) कैसे उत्पन्न होता है ?
यदि प्रतिबाधा किसी भी डिवाइस का गुण नहीं है तो यह विधुत सर्किट में कैसे प्रभाव डालता है। यह एक बढ़िया प्रश्न है। जैसे दुनिया के जितने भी प्रकार के तत्व उपलब्ध है उन सभी में कुछ न कुछ विधुत धारा का विरोध करने के गुण पाया जाता है जिसे हम और आप प्रतिरोध कहते है।
किसी विद्दुत परिपथ में प्रतिबाधा तब उत्पन्न होती है जब उस परिपथ में कोई विधुत ऊर्जा स्टोर करने वाला डिवाइस जैसे कपैसिटर या इंडक्टर (Capacitor Inductor) आदि जुड़ा हुआ रहता है। ऐसा विधुत परिपथ जिसमे कपैसिटर या इंडक्टर या दोनों जुड़े हो ,में जब DC सप्लाई दी जाती है तब इस प्रकार के परिपथ का कुल प्रतिरोध इन डिवाइस के आंतरिक प्रतिरोध के बराबर होता है लेकिन जब इस प्रकार के परिपथ को किसी AC सप्लाई से जोड़ा जाता है तब इन डिवाइस में एक अलग प्रकार का प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाता है जो परिपथ से प्रवाहित होने वाली अल्टेरनेटिंग धारा (Alternating Current) का विरोध करने लगता है। परिपथ में उत्पन्न इस प्रकार का प्रतिरोध तथा डिवाइस (Capacitor Inductor) के आंतरिक प्रतिरोध का योग ही प्रतिघात(Impedance) कहलाता है।
प्रतिबाधा किसी विद्दुत परिपथ में केवल और केवल अल्टेरनेटिंग धारा आरोपित करने पर ही उत्पन्न होता है। यह दिष्ट धारा (DC वोल्टेज) आरोपित करने से उत्पन्न नहीं होता है। किसी विधुत परिपथ में उत्पन्न प्रतिबाधा आरोपित अल्टेरनेटिंग वोल्टेज (AC Voltage) के आवृति पर निर्भर करता है।
प्रतिघात की गणना कैसे की जाती है ?
हम प्रतिघात के गणना हेतु निम्न प्रकार के विधुत परिपथ पर चर्च करेंगे और इनसे जुड़े हुए प्रतिघात की गणना करेंगे।
केवल इंडक्टर (Inductor) वाला AC परिपथ
निचे दिया गया विधुत परिपथ एक AC Voltage श्रोत से जुड़ा हुआ है। इस परिपथ में एक Coil (Inductor) जुड़ा हुआ है जिसका आंतरिक प्रतिरोध शून्य तथा Inductance L है।
इस परिपथ से जुड़े Coil को एक AC वोल्टेज श्रोत V0Sinωt से जोड़ा गया है। इस विधुत श्रोत के कारण परिपथ से एक अल्टेरनेटिंग विधुत धारा प्रवाहित होती है। चूँकि प्रत्यावर्ती धारा होने के कारण इसका परिमाण तथा दिशा लगातार बदलता रहता है इसलिए Coil से संबंधित चुम्बकीय फ्लक्स उसी अनुसार बदलता रहता है जिसके कारण Coil में सेल्फ inductance के कारण EMF उत्पन्न रहता है।
किसी इंडक्टर या Coil में उत्पन्न EMF को निम्न तरीके से ज्ञात किया जाता है।
V = -L (d I /dt )
यदि ऊपर के परिपथ में किरचॉफ का वोल्टेज नियम लगाया जाए तो
V0Sinωt - L (d I /dt ) = 0
V0Sinωt = L (d I /dt )
d I = V0Sinωt dt
I = ഽV0Sinωt dt
I = - (V0/ ωL) Cosωt
यदि (V0/ ωL) =I0 हो तो
I = - I0 Cosωt होगा और या अल्टेरनेटिंग धारा का मान होगा जो विधुत परिपथ से प्रवाहित होगा।
(V0/ ωL) =I0 में प्रयुक्त ωL ही इस विधुत परिपथ का प्रभावी प्रतिरोध होगा। चूँकि यह प्रतिरोध केवल इंडक्टर के कारण उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे प्रेरण प्रतिघात (Inductive Reactance) कहते है। इसे XL से सूचित किया जाता है। अर्थात
XL= ωL = 2 𝜋f L यहाँ f आरोपित वोल्टेज की आवृति है।
उदाहरण के लिए यदि परिपथ से जुड़े इंडक्टर का Inductance L = 1 H तथा आरोपित वोल्टेज की आवृति 50 Hz हो तो परिपथ में उत्पन्न कुल प्रतिघात
XL= 2 𝜋f L = 2 *3.14 *50 *1 = 314 Ω होगा। चूँकि ऊपर देखा था की इंडक्टर का आंतरिक प्रतिरोध शून्य है लेकिन AC वोल्टेज आरोपित करने से परिपथ में 314 Ω का प्रतिरोध उत्पन्न हो गया।
यदि हम इसी परिपथ में अल्टेरनेटिंग वोल्टेज श्रोत के जगह DC वोल्टेज श्रोत को जोड़ दे तब परिपथ का कुल प्रतिरोध निम्न होगा
XL= 2 𝜋f L = 2 *3.14 *0 *1 = 0 Ω चूँकि DC श्रोत आवृति शून्य होती है।
इसी प्रकार यदि किसी सर्किट में कोई कैपेसिटर जुड़ा हो तो उसके कारण परिपथ में उत्पन्न प्रतिरोध को Capacitive Reactance कहते है। इसे Xc सूचित किया जाता है।
कपैसिटर के कारण उत्पन्न प्रतिरोध को ऐसे कैलकुलेट किया जाता है।
Xc = 1 /(ωc ) = 1 /(2 𝜋f c)
यदि किसी परिपथ में प्रतिरोध R ,inductor (L) तथा कैपेसिटर (C) तीनो जुड़े हो तो इनके प्रतिरोध के योग को प्रतिबाधा (Impedance)कहते है तथा Z द्वारा सूचित किया जाता है और इसे निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है :-
Z = √{R2 + (XL-XC)2} ओह्म
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