Transducer क्या होता है ?
Transducer एक प्रकार का Electronics डिवाइस होता है जो ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदलता है। हमारे आस पास उपयोग होने वाले माइक्रोफोन ,लाउडस्पीकर ,थर्मोमीटर ,पोजीशन तथा प्रेशर सेंसर ,ये सभी ट्रान्सडूसर के ही उदहारण है। इनके अलावा हमारे घर के छत पर लगे सोलर प्लेट, गली में जलती हुयी LED बल्ब या हमारे घर में जलती हुयी नार्मल बल्ब भी एक प्रकार ट्रान्सडूसर होता है।
अगर आसान भाषा में बोले तो ट्रान्सडूसर एक ऐसा डिवाइस होता है जो Non Electric पैरामीटर को इलेक्ट्रिक पैरामीटर में बदलता है। दुनिया का कोई भी पदार्थ जो एक नॉन इलेक्ट्रिक सिगनल को इलेक्ट्रिक सिगनल में बदले वह एक प्रकार का ट्रान्सडूसर होता है। ट्रान्सडूसर के मदद से किसी नॉन इलेक्ट्रिक Quantity को इलेक्ट्रिक मीटर द्वारा मापा जाता है।
Transducer का वर्गीकरण
ट्रान्सडूसर को अनेक प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है। ट्रान्सडूसर के वर्गीकृत करने का आधार सामान्यतः उसको दी जाने वाली विद्दुत ऊर्जा के आधार पर किया जाता है। इसके अनुसार दो प्रकार का ट्रान्सडूसर होता है।
(1) Active Transducer
(2) Passive Transducer
Active Transducer क्या होता है ?
वैसे ट्रान्सडूसर को Active Transducer कहा जाता है जो किसी नॉन इलेक्ट्रिक सिगनल को इलेक्ट्रिक सिगनल में बदलने के लिए किसी बाहरी श्रोत्र से ऊर्जा की जरुरत नहीं होती है। इस प्रकार का ट्रान्सडूसर जब नॉन इलेक्ट्रिक पैरामीटर से इंटरैक्ट करता है तब यह Electric Current या Electric Voltage के रूप में सिगनल उत्पन्न करता है।
जैसे थर्मोकपल ,सोलर प्लेट आदि
Passive Transducer क्या होता है ?
वैसे ट्रान्सडूसर को Passive Transducer कहा जाता है जो किसी नॉन इलेक्ट्रिक सिगनल को इलेक्ट्रिक सिगनल में बदलने के लिए किसी बाहरी विधुत ऊर्जा श्रोत से ऊर्जा ग्रहण करता है अर्थात इनपुट नॉन इलेक्ट्रिक पैरामीटर को इलेक्ट्रिक पैरामीटर में बदलने के लिए बाहर से ऊर्जा की जरुरत होती है। इस प्रकार के ट्रान्सडूसर Capacitance ,Resistance आदि के रूप में नॉन इलेक्ट्रिक सिगनल को बदलते है। इस प्रकार Capacitance या Resistance में हुए बदलाव को Voltage या Current में परिवर्तित कर लिया जाता है।
Primary Transducer क्या होता है ?
वैसा ट्रान्सडूसर जो मैकेनिकल मूवमेंट या अन्य किसी प्रकार के भौतिक परिवर्तन को डिटेक्ट कर उसे इलेक्ट्रिक सिगनल में परिवर्तित करने वाले डिवाइस की मदद करे ,प्राइमरी ट्रान्सडूसर कहलाता है।
Secondary Transducer क्या होता है ?
वैसे ट्रान्सडूसर को Secondary Transducer कहा जाता है जो Primary ट्रान्सडूसर द्वारा डिटेक्ट किये गए सिगनल को डायरेक्ट इलेक्ट्रिक सिगनल में परिवर्तित करता है।
Primary तथा Secondary Transducer का उदहारण
Image Credit https://circuitglobe.com/ |
Bourden's tube प्राइमरी तथा सेकेंडरी ट्रान्सडूसर का अच्छा उदहारण है। इस Tube का उपयोग Pressure (दाब) मापने के लिए उपयोग किया जाता है। जैसा की ऊपर के चित्र में दिखाया गया है। प्रेशर को मापने के लिए इसे Tube पर आरोपित किया जाता है। इस प्रेशर के कारण Tube अपने Free End पर थोड़ा Displace हो जाता है इस displacement के कारण Free End से जुड़ा हुआ Cord इससे जुडी हुयी पुल्ली को घूमता है जिससे LVDT ऊपर की तरफ विस्थापित हो जाता है।
इस प्रकार LVDT के विस्थापन के वजह से ट्रांसफार्मर के टर्मिनल में उत्पन्न वोल्टेज में अन्तर उत्पन हो जाता है जिसे मापा लिया जाता है। इस उदहारण में Tube प्राइमरी तथा LVDT Secondary ट्रान्सडूसर की तरह कार्य करता है।
Transducer की Efficiency क्या होती है ?
किसी भी प्रकार के ट्रान्सडूसर के Efficiency ही उसकी गुणवत्ता के बारे में बताती है। जिस ट्रान्सडूसर की Efficiency जीतनी अधिक होती है वह उतने ही बढ़िया किस्म का ट्रान्सडूसर होता है। ट्रान्सडूसर के Efficiency का मापन उससे प्राप्त ऊर्जा तथा उसको दी जाने वाली ऊर्जा के अनुपात से ज्ञात किया जाता है। गणितीय रूप में यदि ट्रान्सडूसर को दी जाने वाली ऊर्जा W तथा प्राप्त ऊर्जा को U से निर्देशित किया जाये तब
Efficiency = ( प्राप्त ऊर्जा / दी जाने वाली ऊर्जा )
% η = ( U/W ) X 100
किसी भी प्रकार के ट्रान्सडूसर की efficiency 100 प्रतिशत नहीं होती है क्योकि ट्रान्सडूसर को दी जाने वाली ऊर्जा का कुछ भाग ऊर्जा परिवर्तन के दौरान ,ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।
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