What is Wheatstone's Bridge?
Wheatstone's Bridge एक प्रकार का साधारण सा सर्किट है जिसमे तीन ज्ञात तथा एक एक अज्ञात प्रतिरोध ,एक गैल्वेनोमीटर तथा एक एक विधुत सेल एक दूसरे से जुड़े होते है। इस सर्किट के मदद से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है। इस सर्किट को पहली बार इंग्लैंड के वैज्ञानिक प्रोफेसर व्हीटस्टोन ने सन 1842 बनाया था। प्रोफेसर व्हीटस्टोन के सम्मान में इस सर्किट को व्हीटस्टोन का सेतु (Wheatstone's Bridge) कहते है।
Wheatstone Bridge Circuit Principle
व्हीटस्टोन ब्रिज में चार प्रतिरोध को एक चतुर्भुज के चारों भुजाओ के रूप में जोड़ा जाता है। इस चतुर्भुज के किसी भी एक विकर्ण के दोनों सिरों के बीच एक गैल्वेनोमीटर तथा दूसरे विकर्ण के दोनों सिरों के बीच एक सेल को जोड़ा जाता है।
अब इसके बाद यदि चारो भुजाओ के प्रतिरोध के परिमाण को इसप्रकार समायोजित जाये की ,सेल द्वारा सर्किट में विधुत धारा प्रवाहीत करने पर गैल्वेनोमीटर में किसी भी प्रकार का विक्षेप न हो।
इस प्रकार के सर्किट को संतुलित सर्किट (Balanced Circuit) कहा जाता है। सर्किट के संतुलन के अवस्था में चतुर्भुज किसी भी दो संलग्न भुजा(Adjacent Side) में लगे प्रतिरोधों का अनुपात बराबर होता है।
Construction of Wheatstone Bridge
निचे चित्र में दिखाए गए व्हीटस्टोन ब्रिज में चार प्रतिरोध P ,Q ,R तथा S चार भुजाएं बनाते है। बिंदु B एवं D इस चतुर्भुज के एक विकर्ण बनाते है इसलिए इस विकर्ण के बीच के गैल्वेनोमीटर G को जोड़ा गया है। इस चतुर्भुज का दूसरा विकर्ण A तथा C के बीच बनता है और इसके बीच विधुत सेल E को जोड़ा गया है। चित्र में K1 तथा K2 दो स्विच जुड़े हुए है।
जब स्विच को दबाकर ऑन किया जाता है तब सर्किट में i धारा प्रवाहीत होने लगती है ,जब यह धारा बिंदु A पर पहुँचती है तब यह दो भागों में बट जाती है। माना भुजा AB तथा AD में क्रमशः I1और I2 धारा प्रवाहीत हो रही है। तब किरचॉफ के नियम अनुसार बिंदु A पर
I = I1+ I2
गैल्वेनोमीटर से प्रवाहीत विधुत धारा की दिशा बिंदु B तथा D के बीच के विभव पर निर्भर करती है। यदि बिंदु B का विभव बिंदु D के विभव से ज्यादा हो तब बिंदु B पर विधुत धारा I1 पुनः दो भागों में बट जाएगी तब बिंदु B पर किरचॉफ के नियम के अनुसार
I1 = Ig + I3
तथा बिंदु D पर किरचॉफ के नियम अनुसार
I4 = Ig + I2
I4 भुजा DC में प्रवाहीत होने वाली विधुत धारा है।
ऊपर के सर्किट के लूप ABDA में किरचॉफ के वोल्टेज नियम लगाने पर
I1P + GIg- I2R = 0 ------------(1)
तथा लूप BDCB में किरचॉफ का वोल्टेज नियम लगाने पर
I3Q - GIg-
I4S = 0 -----------(2)
ऊपर के दोनों समीकरण में G गैल्वेनोमीटर का आंतरिक प्रतिरोध है।
संतुलन के अवस्था में गैल्वेनोमीटर से किसी नहीं प्रकार के विधुत धारा का प्रवाह नहीं होगा इसलिए इस स्थिति में
Ig = 0
ऊपर के समीकरण (1) में Ig = 0 रखने पर
I1P = I2R -------------(3)
ऊपर के समीकरण (2) में Ig = 0 रखने पर
I3Q = I4S -----------(4)
समीकरण (3) में (4) से भाग करने पर
I1P/I3Q = I2R/ I4S --------(5)
सर्किट के संतुलन के अवस्था में Ig = 0 होने पर I3 = I1 तथा I2 = I4
इन सभी पैरामीटर को ऊपर के समीकरण में (5) में रखने पर
P / Q = R / S
इस फार्मूला के में यदि तीन प्रतिरोध का मान पहले से ज्ञात हो तो चौथे अज्ञात प्रतिरोध का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। इस फार्मूला में यदि किसी भी दो प्रतिरोध का अनुपात ज्ञात को तभी भी तीसरे प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जा सकता है।
यदि इस सर्किट में गैल्वेनोमीटर तथा विधुत सेल का स्थान आपस में बदल दिया जाये तब भी सर्किट के संतुलन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आती है। व्हीटस्टोन ब्रिज की Sensitivity चारो प्रतिरोध के मान पर निर्भर करता है।