थ्री फेज इंडक्शन मोटर क्या होता है?
थ्री फेज मोटर ,थ्री फेज विधुत Supply द्वारा संचालित होने वाला एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल मशीन होता है। यह एक बहुत ही पॉपुलर तथा कॉमन Type का AC मोटर होता है। अधिकांश इंडस्ट्री में ड्राइव्स के लिए थ्री फेज इंडक्शन मोटर का ही प्रयोग किया जाता है। इंडस्ट्री में इंडक्शन मोटर का ज्यादा मात्रा में प्रयोग होने निम्न मुख्य कारण है :-
- अन्य ड्राइव्स के तुलना में यह सस्ता होता है।
- यह सस्ता होने के साथ साथ काफी एफ्फिसिएंट भी होता है।
- इसका starting Torque ज्यादा होता है।
- इसका Speed रेगुलेशन बहुत ही बढ़िया होता है।
थ्री फेज इंडक्शन मोटर का Construction
किसी भी प्रकार के Rotating इलेक्ट्रिकल मशीन के दो मुख्य भाग होते है। (1) स्टेटर (2) रोटर। इलेक्ट्रिकल मशीन में स्टेटर स्टैटिक अर्थात न घूमने वाला भाग जबकि रोटर घूमने वाला भाग होता है। स्टेटर में होने वाले Eddy Current Loss को कम करने के लिए उच्च किस्म के स्टील मिश्र धातु के उपयोग से Lamination को तैयार किया जाता है।
इस प्रकार तैयार किए गए Lamination को Stator के आंतरिक भाग के परिधि (Periphery) में एक दूसरे से अलग सेट किया जाता है। इसके बाद स्टेटर में लगाए जाने वाले Coil के तार को इस Lamination पर सेट किया जाता है। इस प्रकार स्टेटर में सेट हुए Coil को आपस में जोड़कर थ्री फेज वाइंडिंग बनाई जाती है। स्टेटर के सामान ही रोटर को भी उच्च किस्म के स्टील मिश्र धातु से तैयार हुए Lamination से ही बनाया जाता है। इस प्रकार तैयार हुए गोलीय रोटर को शाफ़्ट पर लगाया जाता है। रोटर के ऊपरी भाग (Periphery)पर खांचे बनाये जाते है जिससे की इन खाँचो में रोटर में प्रयोग होने वाले Coil के वायर को रखा जा सके।
Induction Motor में दो प्रकार के रोटर का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है :-
- Squirrel Cage Rotor
- Phase Wound Rotor
अधिकांश इंडक्शन मोटर में फेज wound रोटर का ही प्रयोग किया जाता है।
Squirrel Cage Rotor क्या होता है?
इस प्रकार के रोटर में एक बेलनाकार Laminated कोर होता है जिस पर एक दूसरे के समान्तर स्लॉट बनाए गए होते है। इस प्रत्येक स्लॉट में एलुमिनियम या कॉपर के छड़ को डाला जाता है। इस प्रकार बिछाए गए प्रत्येक छड़ के अंतिम सिरों को उस धातु के रिंग से आपस में जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार छड़ो को आपस में जोड़ देने की वजह से यह देखने में यह किसी गिलहरी (Squirrel) के पिजरे के सामान दिखता है इसलिए इसे Suirrel Cage Rotor कहा जाता है। जैसा की नीचे के चित्र में दिखाया गया है।
यह एक मोटे बेलन के आकार का कास्ट आयरन तथा उच्च किस्म के सिलिकॉन के मिश्रा धातु से बना हुआ रॉड होता है जिसके ऊपरी भाग पर एक दूसरे के समांतर स्लॉट बनाए गए होते है। इन स्लॉट में कॉपर या एल्युमीनियम के वायर को डाल कर Coil बनाया जाता है।
इस प्रकार बने Coil को आपस में जोड़कर थ्री फेज वाइंडिंग तैयार की जाती है। रोटर के वाइंडिंग हमेशा स्टार में जोड़ा जाता है। इस प्रकार से स्टार में जोड़े गए तार के अंतिम सिरे को स्लिप रिंग के मदद से बाहर लाया जाता है।
बाहर निकलने के बाद Coil के तीनो टर्मिनल को अलग से तीन Variable Resistor जो पहले से ही स्टार में जुड़े हुए होते है ,उनके तीन टर्मिनल से जोड़ दिया जाता है। इन तीनो Variable Resistor के Resistance वैल्यू को बदल कर मोटर के स्पीड को आसानी से Control किया जा सकता है।
सिंगल फेज इंडक्शन मोटर के बारे में यहाँ जाने।
इस प्रकार बने Coil को आपस में जोड़कर थ्री फेज वाइंडिंग तैयार की जाती है। रोटर के वाइंडिंग हमेशा स्टार में जोड़ा जाता है। इस प्रकार से स्टार में जोड़े गए तार के अंतिम सिरे को स्लिप रिंग के मदद से बाहर लाया जाता है।
बाहर निकलने के बाद Coil के तीनो टर्मिनल को अलग से तीन Variable Resistor जो पहले से ही स्टार में जुड़े हुए होते है ,उनके तीन टर्मिनल से जोड़ दिया जाता है। इन तीनो Variable Resistor के Resistance वैल्यू को बदल कर मोटर के स्पीड को आसानी से Control किया जा सकता है।
थ्री फेज इंडक्शन मोटर कितने प्रकार का होता है ?
थ्री फेज इंडक्शन मोटर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। थ्री फेज इंडक्शन मोटर का वर्गीकरण उसमे उपयोग किए गए रोटर के आधार पर किया जाता है। ये दो मुख्य इंडक्शन मोटर निम्न है :-
- Squirrel Cage Induction Motor.
- Slip Ring Induction Motor या Wound Rotor Induction Motor
थ्री फेज इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत
किसी भी प्रकार के थ्री फेज इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत एक ही होता है जो की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन सिद्धांत पर आधारित है। जब थ्री फेज इंडक्शन मोटर के स्टेटर में थ्री फेज AC Supply दी जाती है तब उसमे एक थ्री फेज AC Current प्रवाहीत होने लगता है।
विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव के कारण स्टेटर में एक चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन हो जाता है। आरोपित Alternating Current की तरह ही उत्पन्न हुआ चुम्बकीय फ्लक्स भी Alternating प्रवृति का होता है। जब यह Alternating चुम्बकीय फ्लक्स रोटर के Coil द्वारा कट किया जाता है तब उसमे फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिद्धांत के अनुसार एक EMF Induced कर देता है।
चूँकि रोटर के coil के वायर के अंतिम सिरे को शार्ट कर दिया जाता है इसलिए इस प्रकार Induced हुए EMF की वजह से रोटर में भी एक विधुत धारा का प्रवाह होने लगता जो Alternating प्रवृति का होता है। इस विधुत धारा के कारण रोटर में भी एक चुम्बकीय उत्पन्न हो जाता है।
जब रोटर में उत्पन्न हुआ चुम्बकीय फ्लक्स स्टेटर के मुख्य फ्लक्स से इंटरैक्ट करता है तब अपने आप को एक ऐसे क्षेत्र में शिफ्ट करने की कोशिश करता है जहा चुम्बकीय फ्लक्स उपलब्ध न हो और इस प्रक्रिया के दौरान रोटर के ऊपर क्षेत्र पर एक बल का अनुभव होता है जिससे रोटर घूमने लगता है।
रोटर का इस प्रकार Continuous घूमने का मुख्य कारण स्टेटर में मुख्य चुम्बकीय क्षेत्र का उपलब्धता हमेशा बानी रहती है। रोटर में उत्पन्न हुए चुम्बकीय फ्लक्स तथा स्टेटर में उत्पन्न हुए चुम्बकीय फ्लक्स के Interaction को ही armature Reaction कहा जाता है।
Induction Motor में Slip क्या होता है?
हमने ऊपर देखा की स्टेटर में AC सप्लाई देने पर उसमे एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र Rotating Nature का होता है। अर्थात कोणीय वेग (Angular Velocity) से घूमता रहता है। यह चुम्बकीय क्षेत्र जिस स्पीड से स्टेटर के अंदर घूमता है उस स्पीड को Synchronous Speed कहते है।
किसी भी इंडक्शन मोटर का सिंक्रोनस स्पीड मोटर स्टेटर में बने चुम्बकीय पोल तथा आरोपित AC सप्लाई के आवृति (Frequency) पर निर्भर करता है। इसे हमेशा RPM में मापा जाता है तथा Ns से सूचित किया जाता है।
Ns = 120F/P
जहां
F = सप्लाई फ्रीक्वेंसी
P = पोल संख्या
इंडक्शन मोटर में चुम्बकीय क्षेत्र की वजह से रोटर घूमने लगता है। रोटर हमेशा चुम्बकीय क्षेत्र के स्पीड से कम अर्थात सिंक्रोनस स्पीड से कम स्पीड से घूमता है। चुम्बकीय क्षेत्र के स्पीड तथा रोटर स्पीड के अंतर को ही Slip कहा जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र तथा रोटर के स्पीड में बहुत ही कम का अंतर होता है। Slip को अंग्रेजी के S द्वारा सूचित किया जाता है। यदि रोटर के स्पीड को N द्वारा सूचित किया जाए तब स्लिप s
S = Ns - N
चूँकि स्लिप बहुत ही कम होता है इसलिए इसे हमेश प्रतिशत में प्रदर्शित किया जाता है। जो कुछ इस प्रकार होता है।