What is Newton's Law of Motion?
महान वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन ने वस्तुओ में होने वाली विभिन्न प्रकार के गति तथा विराम की अवस्था का अध्ययन बड़े ही बारीकी से किया तथा गति और विराम में क्या संबंध होता है इसकी व्याख्या 1687 में प्रकाशित अपनी किताब प्रिंसिपिया (Principia) में किया है।
वैसे वस्तुओ के विराम तथा गति के संबंध में अध्ययन करने वाले न्यूटन पहले व्यक्ति नहीं थे। न्यूटन से पहले गति तथा विराम के बारे में अध्ययन करने वाले पहले व्यक्ति गैलिलियो गैलिली थे परन्तु न्यूटन ने वस्तु के गति तथा विराम की व्याख्या ही नहीं की बल्कि इसे गणित के सूत्र में भी बांधा जिससे इसको समझाना और आसान हो गया। इसलिए गैलिली से ज्यादा ख्याति न्यूटन को मिली। खैर यह तो इतिहास है।
न्यूटन के गति नियम को समझने तथा पढ़ने से पहले हमें किसी वस्तु से संबंधित उसके विराम तथा गति के बारे में जानना जरुरी होगा। वैसे जब हम गति या विराम की बात करते है तब हमें आभास होता गति का मतलब हुआ घूमना और विराम का मतलब हुआ रूका हुआ। और यह बिलकुल सही भी है।
लेकिन जब आपसे यह कहा जाये की पूरी पृथवी घूम रही है तो पृथ्वी पर रखा हुआ कोई वस्तु विराम में कैसे हो गया। तब हमारे द्वारा दिया गति तथा विराम का जवाब गलत हो जाता है।
विराम की परिभाषा | Definition of Rest
यदि किसी वस्तु के स्थिति (Position) में समय के साथ कोई बदलाव नहीं हो तो उस वस्तु को विराम में कहा जायेगा।
गति की परिभाषा | Definition of Motion
यदि किसी वस्तु के स्थिति (Position) में समय के साथ कोई बदलाव हो रहा है तो उस वस्तु को गति के अवस्था में कहा जायेगा।विराम तथा गति का यह एक अधूरी परिभाषा है क्योकि गति तथा विराम दोनों सापेक्षिक (Relative) शब्द है।ये दोनों शब्द इस बात पर निर्भर करेंगे की इनको देखने वाले दर्शक की स्थिति कैसी है।
अगर मेरे देखने में किसी वस्तु की स्थिति बदल नहीं रही है तब मैं उसे विराम की अवस्था में कहूंगा और इसके विपरीत मेरे दोस्त मोहन उस वस्तु को अपने मोटर बाइक से जाते हुए देखे तो यह उसके लिए यह गति में दिखाई देगा।
किसी वस्तु के विराम तथा गति का अध्ययन करना बहुत ही जटिल है। इसलिए अब हम न्यूटन के गति नियम के तरफ बढ़ते है।
न्यूटन का प्रथम गति नियम
कोई भी वस्तु अपने पुरानी अवस्था को तब तब तक बनाये रखना चाहती है जब तक की कोई बाहरी कारक उसको Disturb न करे। न्यूटन का यह गति नियम जड़त्व का नियम (Law of Inertia) भी कहलाता है।
Explanation:-
यह दैनिक जीवन में अनुभव किया जाने वाला एक साधारण सा अनुभव है। जैसे आपके टेबल पड़ी हुई आपकी फिजिक्स की किताब तब तक आपके टेबल पर पड़ी रहेगी जब तक आपक उसको उठाकर कही रख न दो। इसके विपरीत यदि कोई वस्तु एकसामान के गति से किसी घर्षणरहित पथ पर घूम रही है तो उस पथ पर हमेशा घूमती ही रहेगी जब तक उसे कोई बाहर से बल लगाकर रोक नहीं देता है। जैसे हमारी पृथ्वी हज़ारो वर्षो से अपने कक्षा में एकसमान गति से घूम रही है। न्यूटन के प्रथम गति नियम से बल (Force) परिभाषित किया जा सकता है।
बल की परिभाषा | Definition of Force
बल वह भौतिक कारण है जो किसी वस्तु पर लगकर उसके स्थिति में परिवर्तन लाता है या फिर लाने की प्रयत्न करता है।चूँकि बल एक भौतिक कारक है इसलिए इसके पास परिमाण के साथ दिशा भी होगा और किसी वस्तु के स्थित ,विस्थापन आदि में परिवर्तन आरोपित बल के कारण ही होता है। इसलिए दिशा तथा परिमाण के मापन ने न्यूटन को दूसरे नियम के खोज के लिए प्रेरित किया।इसके लिए न्यूटन ने देखा की किसी वस्तु पर आरोपित बल अगर वस्तु विराम में है तो उसके द्रव्यमान (Mass) पर निर्भर करता है। वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होता है उतना ही ज्यादा बल उसको गति में लाने के लिए लगाना पड़ता है। इसके विपरीत वस्तु गति में है तब भी उसको रोकने के लिए भी ज्यादा बल लगाना पड़ता है। इन दो निष्कर्ष के आधार पर न्यूटन को बल से पहले द्रव्यमान तथा वेग के बीच एक सम्बन्ध स्थापित करना था।
और हम जानते है की वेग तथा द्रव्यमान दो अलग अलग प्रकार के राशि है इसलिए इनके बीच addition या Substraction तो हो नहीं सकता इसलिए इनके बीच एक ही तरके से संबंध स्थापित किया जा सकता है और वह है गुणा का (Multiplication)
इसलिए न्यूटन ने द्रव्यमान तथा वेग को आपस में Multiply कर एक नए राशि की खोज की जिसे संवेग (Momentum) नाम दिया गया। अर्थात
द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को संवेग कहा जाता है। यह एक सदिश राशि है जिसका SI मात्रक Kgm/s होता है। इसे हमेशा सदिश P द्वारा दिखाया जाता है।
यदि वस्तु का द्रव्यमान M Kg तथा वेग V m/s हो तो
संवेग (P)Momentum = MV होगा।
न्यूटन का दूसरा गति नियम
न्यूटन के दूसरे गति नियम के अनुसार किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उसके ऊपर आरोपित बाह्य बल के समानुपाती होता है।व्याख्या
मान ले की दो सामान द्रव्यमान वाली वस्तुए दो अलग अलग वेग से गति में है। तो दोनों का संवेग भी अलग अलग होगा। अगर हम इन वस्तुओ को बाह्य बल आरोपित कर इन्हे रोकने की कोशिश करते है तब हमें उस वस्तु पर ज्यादा बल लगाना पड़ेगा जिसका वेग ज्यादा होगा क्योकि उसका संवेग ज्यादा होगा।
इसके विपरीत दो वस्तुए जिनका द्रव्यमान अलग अलग है। अगर इन वस्तुओ पर बल लगाकर इनको एक नियत वेग के साथ गति में लाना हो तो हमें उस वस्तु पर ज्यादा बल लगाना होगा जिसका द्रव्यमान ज्यादा होगा।
न्यूटन का तीसरा गति नियम
न्यूटन के इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।व्याख्या
यह एक साधारण सा अनुभव किया जाने वाला क्रिया है। हमने अक्सर देखा होगा की जब हम किसी बॉल को दीवाल (Wall) पर मरते है तब वह जीतनी तेजी से हमारे हाथ से छूटने के बाद जाता है ठीक उतनी ही तेजी से दिवार से टकराहट के बाद हमारे पास आता है।
अगर दिवार बॉल पर हमारे द्वारा किये गए क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया नहीं करता तब बॉल हमारे पास लौटने के बजाय दिवार को पार कर जाता है। आपके दैनिक जीवन ऐसी घटनाएं घटती है जो न्यूटन के तीसरे नियम का उदाहरण है।
आपने क्या सीखा ?
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