फैराडे के विधुतचुंबकीय प्रेरण सिद्धांत क्या हैं?
फैराडे के विधुतचुंबकीय प्रेरण सिद्धांत विधुतचुंबकत्व (Electromagnetism) के दो महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जो विधुत धारा तथा चुंबक के बीच के संबंध को दर्शाते है। इस नियम से यह ज्ञात होता है की कैसे एक बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र से विधुत क्षेत्र (Electric Field) और धारा उत्पन्न होते हैं। विधुतचुंबकत्व में फैराडे के दो नियम है जो निम्न है :
फैराडे का पहला नियम
पहला नियम यह बताता है कि जब किसी कुंडली से संबंधित चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन होता है, तो कुंडली में एक विधुत वाहक बल (EMF) प्रेरित हो जाता है। दूसरे शब्दों में, चुंबकीय क्षेत्र में होने वाला परिवर्तन(चाहे वह बढ़ रहा हो, घट रहा हो या दिशा में परिवर्तन हो रहा हो) उससे सम्बंधित कुंडली में वोल्टेज उत्पन्न करता है। यदि कुंडली को किसी विधुत लोड से जोड़ा जाए तब उसमे विधुत धारा का परवाह होने लगता है। इस नियम को गणितीय रूप में निम्न तरीके से प्रदर्शित किया जाता है :
E = -N(dΦ/dt)जहां:
E = कुंडली में प्रेरित ईएमएफ है(वोल्ट में)
N =कुंडली में फेरों की संख्या है
Φ =कुंडली से गुजरने वाला चुंबकीय फ्लक्स है(वेबर में)
t = समय है (सेकंड में)
जैसे की
विधुत जनरेटर में एक चुम्बक को कुंडली के इर्द गिर्द घुमाने से कुंडली(Coil) में एक विद्युत धारा प्रेरित होती है।
फैराडे का दूसरा
फैराडे का दूसरा नियम बताता है कि प्रेरित EMF का परिमाण चुंबकीय क्षेत्र के परिवर्तन के समानुपाती होता है। जिसका मतलब है कि चुंबकीय क्षेत्र जितनी तेजी से बदलेगा कुंडली के सिरों के बीच उत्पन्न प्रेरित EMF अर्थात वोल्टेज का परिमाण उतना ही मजबूत होगा।
फैराडे के नियम का उपयोग
फैराडे के नियमों के कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं जिनमे से कुछ निम्न है :- विधुत जनरेटर
- ट्रांसफार्मर
- इलेक्ट्रिक मोटर
- माइक्रोफोन
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