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Curie law In Hindi : परिभाषा ,सूत्र तथा सीमाए - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 क्युरी का नियम क्या है?

फ्रेंच भौतिक शास्त्री पेरी क्युरी ने सन 1985 में अनुचुम्बकीय पदार्थ पर चुंबकीय क्षेत्र तथा तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है इसको लेकर एक प्रयोग किया और अपने प्रयोग से प्राप्त जानकरी को नियम के रूप में प्रस्तुत किया जिसे क्युरी का नियम कहते है जिसके अनुसार 
जब किसी चुंबकीय पदार्थ को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तब उस पदार्थ की चुंबकीय प्रवृति चुंबकीय क्षेत्र के समानुपाती होती है। इसके विपरीत चुंबकीय प्रवृति परम ताप के व्युतक्रमनुपाती होती है। यदि चुम्बकीय प्रवृति Х तथा तापमान T हो तब इसे गणितीय रूप में निम्न तरीके से व्यक्त कर सकते है :
\chi \propto \frac{1}{T}
\chi = \frac{C}{T}
जहा C एक निययतांक है जिसे क्युरी नियतांक कहते है। 
क्युरी का नियम

क्युरी नियतांक किसे कहते है?

यह चुंबकीय पदार्थ का गुण है जो इसकी चुंबकीय क्षमता को उसके तापमान से संबंध को दर्शाती  है। यह चुंबकीय पदार्थ के प्रकृति पर निर्भर करती है और बताती है की किस पदार्थ के चुंबकीय शक्ति पर तापमान का कितना प्रभाव पड़ता है। 

क्युरी ताप क्या है?

जब किसी लौहचुंबकीय पदार्थ को गर्म किया जाता है तब तापमान के एक परिसर तक उसके चुंबकीय शक्ति पर तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन धीरे धीरे तापमान को स्वतः बढ़ाते रहे तब एक निश्चित तापमान पर यह लौह चुंबकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय पदार्थ की तरह व्यवहार करने लगता है। जिस अधिकतम तापमान पर लौह चुंबकीय पदार्थ ,अनुचुम्बकीय पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है उस तापमान को ही क्युरी ताप कहते है। 

क्युरी नियम की सीमाए क्या है?

क्युरी का नियम अनुचुम्बकीय पदार्थ पर बाहरी चुंबकीय क्षेत्र तथा तापमान  के प्रभाव की व्यख्या करने में सक्षम है लेकिन अन्य दुसरे पदार्थ के चुंबकीय गुण पर तापमान का प्रभाव कैसे पड़ता है इसकी जानकारी इसे नहीं मिलती है। 

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