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विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव - फैराडे का विधुत अपघटन नियम (faraday's Law of Electrolysis)- हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

 विधुत धारा का रासयनिक प्रभाव क्या होता है ?

सर्व प्रथम इंग्लैंड के वैज्ञानिक विलियम निकोल्सन ने देखा की जब पानी में विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तब ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन के बुलबुले निकलने लगते है। उन्होंने ने नोटिस किया किया की हाइड्रोजन के बुलबुले उस इलेक्ट्रोड से निकल रहे है जो बैटरी के ऋणात्मक सिरे से जुड़ा हुआ है तथा ऑक्सीजन  धनात्मक सिरे से जुड़े हुए इलेक्ट्रोड से निकल रहा है। पानी से विधुत के कारण हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन उत्पन्न होने की घटना विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव कहलाता है। इसे निम्न तरीके से परिभाषित किया जा सकता है :-
जब किसी विलयन में विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तब उस विलयन में रासायनिक अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है। विलयन में इस प्रकार उत्पन्न होने वाली घटना को विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव कहा जाता है। 

 विधुत धारा के रासायनिक प्रभाव के कारण विलयन में निम्न प्रभाव देखने को मिलते है :-

  • विलयन से गैस  के बुलबुले निकलने लगते है। 
  • विलयन का रंग बदल जाता है। 
  • इलेक्ट्रोड पर धातु इकठ्ठा होने लगता है। 
रासायनिक विलयन में विधुत धारा के प्रभाव की वजह से धातु इकठ्ठा होने वाले गुण का उपयोग विधुत लेपन(Electroplating) में किया जाता है। विधुत लेपन में उत्पादित धातु की मात्रा तथा इस प्रक्रिय में प्रवाहित विधुत धारा की मात्रा ज्ञात करने के लिए माइकल फैराडे ने दो नियम बनाये जिसे फैराडे का विधुत अपघटन का नियम कहा जाता है जो निम्न है :-

फैराडे का प्रथम विधुत अपघटन का नियम 

फैराडे के प्रथम विधुत अपघटन नियम के अनुसार इलेक्ट्रोड पर मुक्त पदार्थ की मात्रा घोल या विलयन में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के मात्रा के समानुपाती होता है। 
मान  लिया की I एम्पीयर की विधुत धारा t सेकंड तक किसी घोल में प्रवाहित करने पर m ग्राम पदार्थ मुक्त होता है तो प्रथम नियम के अनुसार 
m\propto Q--(1)
हम जानते है की विधुत धारा I 
I =\frac{Q}{t}
Q=It
समीकरण (1) से 
m\propto It
m = ZIt
इस समीकरण में Z एक नियतांक है जिसे विधुत रासायनिक तुल्यांक कहते है। 

विधुत रासायनिक तुल्यांक क्या होता है ?

किसी पदार्थ का विधुत रासायनिक तुल्यांक पदार्थ की वह मात्रा है जो एक एम्पीयर की विधुत धारा एक सेकंड तक विलयन या घोल में प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोड पर मुक्त होती है। 

फैराडे का द्वितीय विधुत अपघटन का नियम 

फैराडे के दुसरे विधुत अपघटन नियम के अनुसार विभिन्न प्रकार के वैधुत अपघट्य में सामान विधुत की मात्रा प्रवाहित करने पर मुक्त पदार्थ की म,मात्राए उनके रासायनिक तुल्यांको (Chemical Equivalent)के समानुपाती होती है। 
मान लिया की विभिन्न घोलो में मुक्त होने वाले पदार्थो की मत्राए m1,m2,m3 ...... है और उनके रासायनिक तुल्यांक क्रमशः E1,E2,E3.......है। अतः द्वितीय नियम से 
m_{1} \propto E_{1}
m_{1} =K E_{1}
m_{2} \propto E_{2}
m_{2} =K E_{2}
इसे निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है 
\frac{m_{1}}{m_{2}} = \frac{KE_{1}}{KE_{2}}
\frac{m_{1}}{m_{2}} = \frac{E_{1}}{E_{2}}
\frac{m_{1}}{m_{2}} = \frac{E_{1}}{E_{2}}---(1)

फैराडे के प्रथम नियम से 
m_{1} = Z_{1}It
m_{2} = Z_{2}It
\frac{m_{1}}{m_{2}} = \frac{Z_{1}}{Z_{2}}---(2)
समीकरण (1) तथा समीकरण (2) से 
\frac{E_{1}}{E_{2}} = \frac{Z_{1}}{Z_{2}}
Z \propto E
अर्थात किसी पदार्थ का विधुत रासायनिक समतुल्यांक पदार्थ के तुल्यांक भार के समानुपाती होता है। 

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