NPN Transistor क्या होता है ?
ऐसा ट्रांजिस्टर जिसमे दो N-टाइप अर्द्धाचालक पदार्थ के बीच में एक P-टाइप अर्द्धाचालक पदार्थ को रखकर बनाया जाता है उसे NPN ट्रांजिस्टर कहा जाता है। इस ट्रांजिस्टर का उपयोग कमजोर सिग्नल को आवर्धित (Amplify) करने के लिए किया जाता है। कमजोर सिग्नल को एमिटर से ट्रांजिस्टर को दिया जाता है तथा आवर्धित सिग्नल को कलेक्टर से प्राप्त किया जाता है। इस ट्रांजिस्टर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा ,इलेक्ट्रान प्रवाही जी वजह से होती है। अर्थात NPN ट्रांजिस्टर में Majority आवेश वाहक इलेक्ट्रान होते है। इस ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रान प्रवाह की दिशा एमिटर से कलेक्टर के तरफ होता है।
NPN ट्रांजिस्टर Symbol कैसा होता है?
किसी विधुत सर्किट बोर्ड या पेपर पर NPN ट्रांजिस्टर को दिखाने के लिए एक विशेष प्रकार के चित्र का उपयोग किया जाता है। जिसे NPN ट्रांजिस्टर का Symbol कहते है। इस सिंबल में मुख्य आवेश वाहक एमिटर टर्मिनल से एक तीर द्वारा निकलते हुए दिखाया जाता है। जैसे निचे के चित्र में दिखाया गया है।
NPN ट्रांजिस्टर की संरचना कैसी होती है?
NPN ट्रांजिस्टर को बनाने के लिए दो N-टाइप तथा एक P-टाइप अर्द्धाचालक का उपयोग किया जाता है। दोनों N- टाइप अर्द्धचालक के बीच में P-टाइप अर्द्धचालक को रख दिया जाता है। इन दोनों N-टाइप अर्द्धचालक में जिसकी चौड़ाई अधिक होती है उसे कलेक्टर टर्मिनल तथा जिसकी चौड़ाई कम होती है उसे एमिटर टर्मिनल कहा जाता है। कलेक्टर टर्मिनल के तुलना में एमिटर की डोपिंग उच्च होती है। इन अर्द्धचालक के बीच में मौजूद P-टाइप अर्द्धचालक जिसकी चौड़ाई सबसे कम होती है उसे बेस टर्मिनल कहा जाता है। ट्रांजिस्टर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को बेस टर्मिनल द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है।
NPN ट्रांजिस्टर कैसे कार्य करता है?
NPN ट्रांजिस्टर के आंतरिक संरचना को निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है। इस चित्र में इलेक्ट्रान प्रवाह की दिशा को तीर द्वारा दिखाया गया है। चित्र में एमिटर तथा बेस को फॉरवर्ड बायस तथा बेस कलेक्टर को रिवर्स बायस किया गया है। ट्रांजिस्टर में फॉरवर्ड बायस करने वाले वोल्टेज (VEB) का परिमाण रिवर्स बायस वोल्टेज (VCB) के तुलना कम कम होता है। जब ट्रांजिस्टर को फॉरवर्ड बायस किया जाता है तब एमिटर से होते हुए बेस के तरफ मेजोरिटी आवेश वाहक इलेक्ट्रान का प्रवाह होने लगता है। जिससे एमिटर करंट(IE) प्रवाहित होता है।
चूँकि ट्रांजिस्टर के बेस की डोपिंग कलेक्टर तथा एमिटर की तुलना में बहुत कम होता है इसलिए इसमें प्रवाहित होने वाले बहुत हे कम इलेक्ट्रान होल्स से कंबाइन हो पाते है। शेष बचे हुए सभी इलेक्ट्रान कलेक्टर पर आरोपित रिवर्स वोल्टेज के कारण ,कलेक्टर क्षेत्र में आकर्षित कर लिए जाते है। ये सभी इलेक्ट्रान कलेक्टर टर्मिनल से होते हुए पुनः दुबारा रिवर्स वोल्टेज (VCB) में चले जाते है। कलेक्टर से प्रवाहित होने वाले इन इलेक्ट्रॉन्स के कारण कलेक्टर करंट (IC) का प्रवाह होता है। ट्रांजिस्टर द्वारा आवर्धित सिग्नल को कलेक्टर तथा बेस टर्मिनल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
NPN ट्रांजिस्टर का सर्किट डायग्राम कैसा होता है?
ऊपर दिखाया गया सर्किट डायग्राम ,फॉरवर्ड बायस में जुड़ा हुआ एक NPN ट्रांजिस्टर का है। दिए सर्किट डायग्राम में ट्रांजिस्टर के एमिटर बेस को फॉरवर्ड बायस तथा कलेक्टर बेस को रिवर्स बायस किया गया है। इस सर्किट डायग्राम में बेस का उपयोग ट्रांजिस्टर से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। बेस को एक on/off स्विच से जुडा हुआ रहता है।
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