प्रदीपन का नियम क्या है?
किसी विशेष क्षेत्र में प्रकाश के तीव्रता के स्तर को प्रदीपन कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में Illumination कहा जाता है। प्रकाश हमारे चारो तरफ फैले हुए खुबसूरत दुनिया देखने में आँखों की मदद करता है। लेकिन हमारे आँखे प्रकाश उर्जा के कुछ ही भाग को सुगमता से देख पाती है। जब किसी विशेष क्षेत्र में प्रकाश उर्जा का स्तर बढ़ जाता है तब उस क्षेत्र में रखी हुई वस्तुओ को देखने में कठिनाई होने लगती है। इसलिए यह जरुरी बन जाता है की उस विशेष क्षेत्र में प्रकाश उर्जा का स्तर इतना रहे की देखने में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। प्रकाश श्रोत से उत्पन्न होने वाली प्रकाश की तीव्रता को दो प्रकार के नियम से समझा जा सकता है। ये दोनों नियम निम्न है :-
- व्युत्क्रम वर्गों का नियम (The Inverse Square Law of Illuminance)
- लैम्बर्ट का कोसाइन नियम (Lambert’s Cosine Law Law of Illuminance)
व्युत्क्रम वर्गों का नियम (The Inverse Square Law of Illuminance)
यदि एक खोखले गोले के केंद्र पर प्रकाश श्रोत को रख दिया जाए तब इससे उत्पन्न होने वाली प्रकाश उर्जा सामान रूप से गोले के आंतरिक भाग के सतह पर वितरित होगी। अर्थात सतह पर प्रकाश उर्जा की तीव्रता एक सामान होगी। अर्थात गोले के सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर सामान मात्रा में प्रकाश उर्जा ग्रहण करेगा। यदि गोले की त्रिज्या को बढ़ा दिया जाए तब वही प्रकाश उर्जा की मात्रा एक बड़े क्षेत्रफल पर सामान रूप से वितरित होगी और यह गोले के त्रिज्या के वर्ग का समानुपाती होगा। जैसे जैसे त्रिज्या को बढाया जायेगा वैसे वैसे प्रत्येक वर्ग इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने प्रकाश उर्जा की तीव्रता त्रिज्या के वर्ग के व्युत्क्रमानुपात (Inversely Proportional) में घटता जायेगा। जैसे जैसे हम किसी प्रकाश श्रोत से दूर होते जाते है वैसे वैसे प्रकाश श्रोत धुधला दिखाई देने लगता है। किसी स्थान पर पड़ने वाली प्रकाश के तीव्रता में होने वाली इस प्रकार के परिवर्तन को ही Inverse Square Law of Illumination के नाम से जाना जाता है। यह किसी भी प्रकार के क्षेत्रफल के लिए लागु होता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।
ऊपर दिए गए चित्र में एक प्रकाश श्रोत बिंदु S पर स्थित है। इस बिंदु से r1तथा r2की दूरी पर क्रमशः A1तथा A2 दो क्षेत्र स्थित है जो प्रकाश श्रोत पर ω घन कोण बनाते है। माना की प्रकाश श्रोत से उत्पन्न होने वाली प्रकाश उर्जा की तीव्रता I है। तब प्रकाश श्रोत द्वारा उत्पन्न
कुल Luminous Flux = Iω तथा
A1= ωr12
अतः पहले वाले क्षेत्र A1पर illumination E1
दुसरे क्षेत्र का क्षेत्रफल
A2= ωr22
अतः पहले वाले क्षेत्र A2पर illumination E2
ऊपर प्राप्त समीकरण (1) तथा (2) से ज्ञात होता है की किसी क्षेत्र पर illumination ,श्रोत से दुरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात जैसे जैसे क्षेत्र की दुरी प्रकाश श्रोत से बढ़ती जाएगी वैसे वैसे क्षेत्र धुधला दिखाई देने लगेगा।
लैम्बर्ट का कोसाइन नियम (Lambert’s Cosine Law Law of Illuminance)
यह नियम वैसे क्षेत्र पर illumination लेवल ज्ञात करने के लिए उपयोग किया जाता है जिस पर प्रकाश श्रोत से निकलने वाली प्रकाश किरण लंबवत न पड़कर तिरछी पड़ती है। कभी कभी ऐसा भी होता है की जिस स्थान पर उजाला करना होता है वह प्रकाश श्रोत से आने वाली किरण के साथ कुछ कोण से झुका हुआ होता है। ऐसे क्षेत्र पर illumination लेवल झुके हुए कोण के कोसाइन के समानुपाती (proportional) होता है। इसे ही लैम्बर्ट का कोसाइन नियम (Lambert’s Cosine Law Law of Illuminance) कहते है।
जैसे ऊपर के चित्र में ,प्रकाश श्रोत S से कुछ दुरी पर एक पृष्ठ θ से झुका हुआ है। प्रकाश श्रोत से निकलने वाली प्रकाश किरणे ,पृष्ठ पर लंबवत न पड़कर कुछ कोण से पड रही है। यदि प्रकाश श्रोत से पृष्ठ की दुरी को नियत रखते हुए ,पृष्ठ का किरण के साथ लंबवत कम्पोनेंट ACosθ होगा जिसमे A पृष्ठ का कुल क्षेत्रफल है।
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