Short Circuit टेस्ट में low Voltage साइड टर्मिनल को एक Wire द्वारा Short Circuit कर दिया जाता है। कभी कभी low Voltage साइड के टर्मिनल को एक अमीटर से शार्ट कर दिया जाता है जिससे शार्ट सर्किट टेस्ट के दौरान ट्रांसफार्मर के low Voltage साइड में चलने वाले rated करंट की भी गणना हो जाती है।
टेस्टिंग के दौरान ट्रांफॉर्मर के high Voltage साइड में एक अमीटर ,Voltmeter तथा एक Wattmeter कनेक्ट कर दिया जाता है।
ट्रांफॉर्मर के हाई वोल्टेज साइड से रीडिंग लेने तथा Low वोल्टेज साइड से रीडिंग लेने के निम्न लाभ है :-
- Low Voltage साइड में हाई वोल्टेज साइड के अपेक्षा बहुत ही कम मान का करंट चलता है। जिसे आसानी से मापा जा सकता है।
- चूँकि हाई वोल्टेज साइड में जोड़ा गया वोल्टेज ,रेटेड वोल्टेज से लगभग 5% ही कम होता है ,इसलिए हाई वोल्टेज साइड में जोड़ा गया Voltmeter हाई Accuracy से वोल्टेज को मापता है।
Testing के दौरान ट्रांसफार्मर के हाई वोल्टेज साइड में एक वेरिएबल वोल्टेज Source से कम किया गया वोल्टेज ही apply किया जाता है। Apply किये गए वोल्टेज को धीरे धीरे तब तक बढ़ाया जाता है जब तक हाई वोल्टेज साइड में फुल लोड करंट नहीं चलने लगता है।
जब ट्रांसफार्मर के हाई वोल्टेज साइड में फुल लोड रेटेड करंट चलने लगता है ,तब ट्रांसफार्मर के low वोल्टेज साइड में भी फुल लोड रेटेड करंट चलने लगता है। इस कंडीशन में Voltmeter ,Ammeter तथा Wattmeter की रीडिंग नोट कर ली जाती है।
चूँकि प्राइमरी साइड में apply किया गया वोल्टेज नार्मल रेटेड वोल्टेज का 5 % से 10% ही होता है इसलिए प्राइमरी साइड में उत्पन्न हुआ मैग्नेटिक फ्लक्स भी बहुत ही कम होता है। इसलिए ट्रांसफार्मर में होने वाला कोर लॉस भी बहुत ही कम होता है जिसे Ignore किया जा सकता है।
इसलिए short Circuit टेस्ट के दौरान वाटमीटर की रीडिंग ट्रांसफार्मर में होने वाली कॉपर लॉस के बराबर ही होंगी। और यह फुल लोड कॉपर लॉस के बराबर होगी।
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