वैसे यह माना जाता है की सापेक्षिता सिद्धांत के जनक अल्बर्ट आइंस्टीन है जो बिलकुल सही है परन्तु इस सिद्धांत की प्रारंभ गैलिली गैलीलियो के समय से ही हो गया था। परन्तु अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत सबसे पहले लोगों के सामने एक गणितीय प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया। जब अल्बर्ट आइंस्टीन ने इसे एक Frame of Reference में देखा तब यह एक प्रसिद्ध सिद्धांत बन गया।
अल्बर्ट आइस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत ,दो सिद्धांत का सम्मिलित रूप है। जिसमे पहला सिद्धांत General theory Relativity तथा दूसरा Special theory Relativity कहलाता है। दोनों प्रकार के थ्योरी को पूर्ण रूप से समझने से पहले इसे पढ़ने वाले व्यक्ति के पास Frame of Reference का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है। यदि आपके पास Frame of Reference का ज्ञान नहीं तब आपको इस सिद्धांत को समझने में बहुत कठिनाई होगी।
Frame of Reference क्या है?
फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स को समझना थोड़ा मुश्किल है क्योकि यह एक सापेक्षिक शब्द है । इसको समझने के लिए हम एक उदहारण का सहारा लेते है । माना की रमेश मेरा दोस्त ट्रेन में बैठा है जो गति करती हुयी आगे बढ़ रही है । मैं खुद मेरा दोस्त रमेश तथा ट्रेन तीनो मिलकर एक सिस्टम बनाते है । यदि मैं रमेश के गति का अध्ययन करू और उसके गति का निर्धारण करू तो मैं रमेश तथा ट्रेन के लिए एक फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स हु ।यदि इस उदाहरण से आपको फ्रेम ऑफ रेफ़्रेन्स का कांसेप्ट क्लियर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं हम दूसरा उदहारण का सहारा लेते है ।
जब आपसे कोई आपके बारे में कोई कुछ पूछता है तब आप पूछने वाले व्यक्ति को अपना नाम तथा अपने पिता का नाम बताते है । इसमें शामिल आपके नाम का बहुत ही कम महत्व है लेकिन आपके पापा के नाम से सामने वाला आपको पहचान लेगा और लोग आपको जानने लगते है । इस उदहारण में आपके पिता आपके लिए फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स हुए । इसकी और गहराई में जाए तो आपके दादा जी आपके पिता जी के लिए फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स हुए।
फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स कितने प्रकार के होते है ?
फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स दो प्रकार के होते है ।- (1).Inertial Frame of Reference
- (2).Non-Inertial frame of reference
यदि मान लीजिए कोई व्यक्ति आपके पुत्र या पुत्री से जब कोई उसके बारे में पूछेगा तब वह सबसे पहले आपका नाम बताएगा उसके बाद आपके पिता यानि अपने दादा जी का । इस उदहारण में आपका नाम आपके औलाद के लिए Non-Inertial frame of रिफरेन्स हुआ क्योकि आपकी पहचान आपके पिता जी से है तथा आपके औलाद की पहचान आपसे है ।
आपके पिता जी बात की जाये तो वे Inertial Frame of रिफरेन्स हुए। यदि यही बात आपके दादा जी से की जाये तब आपके लिए Non-Inertial frame ऑफ़ रिफरेन्स हुए और आपके दादा से आपके के लिए Inertial Frame of रिफरेन्स हुए ।
इस उदहारण से यह मालूम होता है की विभिन्न फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स से देखने पर एक ही वस्तु भिन्न भिन्न दिखाई देती है । अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी वस्तुओ के गति को विभिन्न फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स में देखा था तब उन्हें मालूम हुआ की एक ही वस्तु फ्रेम ऑफ़ रेफ़्रेन्स बदल जाने की वजह से भिन्न भिन्न प्रकार से गति करती हुयी मालूम पड़ती है