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मैक्सिमम पावर ट्रांसफर थ्योरम : परिभाषा , अप्लाई करने की प्रक्रिया , फार्मूला तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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मैक्सिमम पावर ट्रांसफर थ्योरम क्या है ? मैक्सिमम पावर ट्रांसफर थ्योरम को हिंदी में अधिकतम शक्ति अन्तरण प्रमेय कहते है। यह प्रमेय विधुत ऊर्जा श्रोत से विधुत लोड के तरफ अधिकतम प्रवाहित होने वाली विधुत ऊर्जा की व्याख्या करता है। इस प्रमेय के अनुसार विधुत ऊर्जा श्रोत से जुड़े हुए लोड का कुल आंतरिक प्रतिरोध , विधुत ऊर्जा श्रोत के आंतरिक प्रतिरोध के बराबर हो जाये तो ऊर्जा श्रोत से अधिकतम मात्रा में ऊर्जा का परवाह लोड के तरफ होने लगता है। किसी सर्किट में मैक्सिमम पावर ट्रांसफर थ्योरम उपयोग करने की प्रक्रिया स्रोत का  थेवेनिन समतुल्य प्रतिरोध (Rth) ज्ञात करें। लोड प्रतिरोध (RL) को Rth के बराबर समायोजित करें। सर्किट का विश्लेषण करके शक्ति का मान ज्ञात करें। विधुत परिपथ द्वारा प्रवाहित अधिकतम ऊर्जा का फार्मूला  सर्किट से जुड़े लोड में प्रवाहित होने वाली अधिकतम विधुत ऊर्जा के मात्रा को निचे दिए गए फार्मूला का मदद से ज्ञात किया जाता है।  जहाँ, Vth = थेवेनिन समतुल्य वोल्टेज मैक्सिमम पावर ट्रांसफर थ्योरम का उपयोग  कम्युनिकेशन सिस्टम में एंटीना से रिसीवर को अधिकतम ऊर्जा ज्ञात करने ...

इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक सेमीकंडक्टर पदार्थ क्या होते है। यहाँ जाने सब कुछ - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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अर्द्धचालक पदार्थ : इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिंसिक्स  आज के तकनीकी युग में सेमीकंडक्टर इंसानी जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोलर पैनल जैसे अनगिनत इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण इन्हीं अर्ध्दचालक से बनाये जा रहे है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये अर्द्धचालक दो तरह के होते हैं जिन्हे न्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक अर्द्धचालक कहते है। इस पोस्ट में हम इन्ही दोनों अर्द्धचालक की व्याख्या करने वाले है। इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर क्या है ? इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर को हिंदी में स्वयंसंचालक कहते है। ये धरती से प्राप्त शुद्ध अर्द्धचालक होते है। लेकिन इनकी विधुत चालकता बहुत ही कम होती है। जिससे इनमे विधुत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता बहुत कम होती है। जैसे ,सिलिकॉन और जर्मेनियम ऐसे ही स्वयंसंचालक अर्द्धचालक हैं। इन पदार्थों में इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या लगभग बराबर होती है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश तथा होल पर धन आवेश होता हैं। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों में वैलेंस बैंड और कंडक्शन बैंड के बीच पर्याप्त ऊर्जा अंतर होता है। इस वजह से वैलेंस बैंड में अधिकांश इलेक्ट्रॉन बंधे ह...

कंपनसेशन थ्योरम क्या है ? परिभाषा ,उपयोग के नियम ,व्याख्या तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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कंपनसेशन थ्योरम क्या है ? कंपनसेशन थ्योरम को हिंदी में क्षतिरपूर्ति प्रमेय कहते है। यह  प्रमेय विधुत परिपथ के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसके मदद से जटिल परिपथ को सरल बनाकर प्रवाहित विधुत धाराओं और वोल्टेजों का पता लगाया जाता है। इस प्रमेय के अनुसार  यदि किसी रैखिक विधुत परिपथ के  किसी ब्रांच  में परिवर्तन किया जाता है तब  उस ब्रांच  में विधुत धारा या वोल्टेज में होने वाले परिवर्तन को परिपथ के अन्य हिस्सों में परिवर्तित करके ठीक किया जा सकता है बशर्ते कि परिवर्तन  के बाद  परिपथ के कुल प्रतिरोध में कोई परिवर्तन न हो। दूसरे शब्दों में, यदि आप सर्किट के  किसी ब्रांच  में कुछ बदलते हैं, तो आप सर्किट  के अन्य हिस्सों में बदलाव करके उस बदलाव के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं जिससे सर्किट का समग्र व्यवहार पहले  जैसा बना रहे। कंपनसेशन प्रमेय उपयोग करने के नियम  सबसे पहले उस ब्रांच का चयन करे जिसमे  बदलाव करना  हैं। उस  ब्राँच का प्रतिरोध बदलें। परिपथ के अन्य हिस्सों में प्रतिरोधों को इस तरह बदलें कि परिप...

मैक्सवेल का लूप नियम - परिभाषा ,सिध्दांत तथा आंकिक प्रश्न - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 मैक्सवेल का लूप नियम क्या है? यह नियम किसी जटिल विधुत परिपथ के विभिन्न लूप में प्रवाहित होने वाली सभी विधुत धाराओ के बीच संबंध स्थापित करता है जिसके मदद से लूप तथा अन्य दुसरे ब्रांच में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण ज्ञात किया जाता है। परिपथ में जितने भी लूप होते है उन सभी लूप में एक स्वतंत्र विधुत धारा का प्रवाह होता है। जटिल परिपथ में जितने लूप की संख्या होती है उतने वेरिएबल के रैखिक समीकरण होती है तथा इन सभी रैखिक समीकरण को हल करने से प्रत्येक लूप से सम्बंधित विधुत धारा का परिमाण ज्ञात होता है। मैक्सवेल का यह नियम डीसी तथा एoसी दोनों प्रकार के परिपथ से लिए बराबर सही है। इसे समझने के लिए हम एक परिपथ का सहारा लेते है जिसमे तीन लूप है तथा जिसमे दो विधुत उर्जा श्रोत जुड़े हुए है ।    जैसे की ऊपर विधुत परिपथ में दिखाया गया है की प्रत्येक लूप में एक विधुत धारा का प्रवाह हो रहा है। चूँकि परिपथ में कुल लूप की संख्या तीन है अतः तीनो लूप में  प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के परिमाण को ज्ञात करने के लिए कुल तीन रैखिक समीकरण बनेंगे जो तीनो विधुत धारा को आपस में सम्ब...