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रेत : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Sand क्या है ? सैंड एक बिल्डिंग मटेरियल है जिसका उपयोग सिविल इंजीनियरिंग में बिल्डिंग ,ब्रिज ,सड़क आदि के निर्माण में किया जाता है। इसे हिंदी में रेत या बालू कहते है। भवन निर्माण में सीमेंट रेत तथा पानी को आपस में मिश्रित कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। मोर्टार को मजदुर मशाला कहते है। रेत के उपयोग से निर्मित भवन के दीवारों में मजबूती आती है।   image source :unsplash.com  रेत का निर्माण कैसे होता है ? रेत को मुख्य रूप से समुन्द्र या नदियों से प्राप्त किया जाता है। नदियों या समुन्द्रो में कंकड़ या चट्टानों को आपस में टकराकर टूटने या अपरदन से होता है। ज्यादातर नदिया पहाड़ियों से निकलती है। नदियों के पानी के साथ पहाड़ो से चट्टानो के टुकड़े बहकर एक दूसरे से टकराते है और अंत में टूटकर रेत का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त समुन्द्रो में पाए जाने वाले जलीय जीव जब मरते है तब उनके हड्डियों के टूटने से भी रेत का निर्माण होता है। रेत की संरचना  रेत मूल रूप से चट्टान के टुकड़े या खनिज कणों या समुद्री सामग्री के छोटे छोटे दानेदार टुकड़ो से बनी होती है यह मुख्य रूप से सिलिकेट...

ट्रांसफार्मर: परिभाषा ,प्रकार ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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ट्रांसफार्मर क्या है? | Transformer Kya hai ट्रांसफार्मर एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल मशीन है जो विधुत ऊर्जा को इसके वोल्टेज स्तर में परिवर्तन के साथ एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर करता है। इस ऊर्जा ट्रांसफर में विधुत ऊर्जा के फ्रीक्वेंसी में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है। ट्रांसफार्मर में विधुत ऊर्जा का एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर एक चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति में होता है। बिना चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति विधुत ऊर्जा का ट्रांसफार्मर संभव नहीं है। चूँकि ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार का घूमने वाला भाग नहीं होता है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का घर्षण नहीं उत्पन्न होता है जिससे घर्षण ऊर्जा के रूप में ऊर्जा हानि नहीं होती है इसलिए ट्रांसफार्मर की दक्षता सबसे ज्यादा होती है। ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है? | Transformer Hindi ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत बहुत ही सरल है। यह दो या दो से अधिक Coil में उत्पन्न म्यूच्यूअल  इंडक्शन सिद्धांत पर कार्य करता है। Mutual Induction सिद्धांत फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिद्धांत को ही कहते है। इस सिद्धा...

मोर्टार : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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मोर्टार क्या है ? यह एक विशेष प्रकार का मिश्रण है जिसका उपयोग पुल या भवन निर्माण में ईंट या पथरो को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। मकान निर्माण में कार्य करने वाले कारीगर  या मजदूर इसे मशाला कहते है। मोर्टार बनाने के लिए रेत (बालू ),सीमेंट ,सुरकी ,पानी।,चुना या सीमेंट की जरुरत पड़ती है। इन सभी अवयवों को निश्चित अनुपात में मिलाकर कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। ईंटो को मजबूती से बांधकर रखने के लिए इंसान मोर्टार का उपयोग वर्षो से करता आ रहा है। आधुनिक समय में सीमेंट ,रेत तथा पानी को निश्चित अनुपात में मिलाकर मोर्टार बनाया जाता है। सीमेंट के उपयोग से ईंटो के बीच बंधन मजबूत होता है।  मोर्टार कितने प्रकार का होता है ? मोर्टार के निर्माण में मजबूती प्राप्त करने के लिए उपयोग किये गए मुख्य अवयव के आधार पर मोर्टार को पाँच वर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है : सीमेंट मोर्टार (Cement Mortar) चुना मोर्टार (Lime Mortar) सुरकी मोर्टार(Surkhi  Mortar) गेज मोर्टार (Gauge  Mortar) मिट्टी मोर्टार(Mud Mortar) सीमेंट मोर्टार क्या होता है ? यह वर्तमान समय में सिविल कार्य म...

वेन ब्रिज Oscillator : परिभाषा ,सर्किट डायग्राम ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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वेन ब्रिज Oscillator क्या है ? यह एक खास प्रकार का दोलित्र है जिसमे आवर्ती प्रकृति का तरंग उत्पन्न करने के लिए मैक्स वेन द्वारा विकशित वेन ब्रिज सर्किट का उपयोग किया जाता है।इससे साइन वेव उत्पन्न किया जाता है। वेन ब्रिज सर्किट में चार प्रतिरोध तथा दो कैपेसिटर एक दूसरे के साथ चतुर्भुज के आकार जुड़े हुए होते है जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।  जैसे की निचे के परिपथ में दिखाया गया है चतुर्भुज के दो भुजा में केवल प्रतिरोध  जुड़े हुए है त था अन्य दो भुजा के में प्रतिरोध तथा कैपेसिटर जुड़े जुड़े हुए है जिनमे  (R 1  तथा C 1 ) श्रेणी तथा  (R 2   तथा C 2  ) समान्तर क्रम में जुड़े हुए है। श्रेणी क्रम में जुड़े हुए कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक High Pass Filter तथा समांतर क्रम वाला कैपेसिटर तथा प्रतिरोध Low Pass Filter की तरह कार्य करता है। इसलिए इन दोनों भुजाओ को Frequency सेंसिटिव  भुजा कहते है क्योकि ये दोनों भुजा एक निश्चित Frequency पर ही इनपुट को एम्पलीफायर में प्रवेश करने देती है। जिस Frequency पर वेन ब्रिज Oscillator कार्य करता है उसे Resonant Fre...

लुब्रीकेंट : परिभाषा ,प्रकार,गुण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्नेहक किसे कहते है ? वैसा पदार्थ जो किसी दो घूमने वाली सतह के बीच लगाने से उनका घर्षण कम हो जाता है उसे स्नेहक कहते है।स्नेहक को अंग्रेजी में लुब्रीकेंट कहते है। दो सतहों के बीच लुब्रीकेंट के प्रयोग से उनके बीच चिकनाहट आ जाती है जिससे घर्षण कम हो जाता है। दोनों सतहों के बीच चिकनाहट लाना लुब्रिकेशन कहलाता है। इंजीनियरिंग में बहुत सारी मशीन एक दूसरे से शाफ़्ट या बेल्ट के माध्यम से जुडी हुई होती है  तथा सापेक्षिक गति करती है जिनमे घर्षण के कारण ऊर्जा के एक भाग स्वतः नष्ट हो जाता है। या मशीने घीसकर नष्ट हो जाती है। मशीनों में इस प्रकार से होने वाली हानि या नुकशान को कम करने के लिए उनंके बीच लुब्रीकेंट का उपयोग किया जाता है। लुब्रीकेंट विभिन्न प्रकार के होते है जिनका वर्गीकरण निचे किया गया है।  उच्च श्रेणी के लुब्रीकेंट के पास क्या  गुण होने चाहिए ? एक उच्च किस्म के लुब्रीकेंट के पास निम्न गुण होने चाहिए : लुब्रीकेंट के श्यानता (Viscocity) की रेंज ज्यादा होनी चाहिए।  तापमान  के साथ श्यानता में परिवर्तन नहीं  होना चाहिए।  लुब्रीकेंट रासायनिक रूप से अक्रिय हो...

जैव ईंधन: परिभाषा ,प्रकार ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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जैव ईंधन क्या है ?(biofuel kya hai) कोई भी पदार्थ जिसके जलने से प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे ईंधन कहते है। जब यह ईंधन कृषि उत्पाद से प्राप्त होती है तब इसे जैव ईंधन कहते है। विभिन्न प्रकार की फसलों तथा पौधों से जैव ईंधन प्राप्त किए जाते है। जैव ईंधन को तकनीक के मदद से गतिज ऊर्जा ,उष्मीय ऊर्जा ,विधुत ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जाता है। प्रकृति में मौजूद सभी प्रकार के वनस्पति तथा जीव पदार्थ को बायोमास कहते है। जैव ईंधन का उपयोग करना आसान है तथा ये प्रकृति रूप से आसानी से संश्लेषित हो जाते है। इनमे सल्फर तथा गंध की मात्रा नहीं पाई जाती है।  हमारे सौरमंडल में ऊर्जा का मुख्य श्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा को पौधे प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया से जैव ईंधन में परिवर्तित करते है। पौधों में यह जैव ऊर्जा विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरते हुए विभिन्न प्रकार के ऊर्जा श्रोत का निर्माण करती है। उदारहण के लिए मवेशी पौधों के पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करते है और गोबर करते है। इस गोबर को जलाकर उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न किया जाता है।  जैव ईंधन कितने प्रकार के होते है ? ...

वेन ब्रिज : परिभाषा ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Wien Bridge क्या है ? यह एक प्रकार का ए०सी ब्रिज सर्किट है जिसका उपयोग अज्ञात कपैसिटर का Capacitance ज्ञात करने के साथ HF Frequency Oscillator में किया जाता है। इस सर्किट में कुल चार प्रतिरोध तथा दो कपैसिटर का उपयोग किया जाता है। इस परिपथ को पहली बार 1891 में मैक्स वेन ने  Develop किया था। यह ब्रिज सर्किट व्हीटस्टोन ब्रिज की तरह संतुलन की अवस्था में कार्य करता है। एक वेन ब्रिज परिपथ को निचे के चित्र में दिखाया गया है।  वेन ब्रिज परिपथ का निर्माण  जैसे की उपर दिए गए परिपथ में दिखाया गया है की एक चतुर्भुज के चारों भुजा के अनुदिश प्रतिरोध तथा कैपेसिटर को जोड़ा गया है जिसमे एक भुजा AB के अनुदिश कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक दूसरे के समांतर तथा दूसरे भुजा AD के अनुदिश श्रेणी क्रम में जुड़े हुए है। अन्य दो भुजा BC तथा CD के अनुदिश दो प्रतिरोध जुड़े हुए है। विकर्ण BD के अनुदिश एक पोटेंसियोमीटर D को जोड़ा गया है जो इसमें प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को ज्ञात करेगा। जब यह ब्रिज परिपथ संतुलन की अवस्था में होता है तब विकर्ण BD से किसी भी प्रकार की विधुत धारा का परवाह नहीं होता है और इस दशा ...