संदेश

वेन ब्रिज : परिभाषा ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
Wien Bridge क्या है ? यह एक प्रकार का ए०सी ब्रिज सर्किट है जिसका उपयोग अज्ञात कपैसिटर का Capacitance ज्ञात करने के साथ HF Frequency Oscillator में किया जाता है। इस सर्किट में कुल चार प्रतिरोध तथा दो कपैसिटर का उपयोग किया जाता है। इस परिपथ को पहली बार 1891 में मैक्स वेन ने  Develop किया था। यह ब्रिज सर्किट व्हीटस्टोन ब्रिज की तरह संतुलन की अवस्था में कार्य करता है। एक वेन ब्रिज परिपथ को निचे के चित्र में दिखाया गया है।  वेन ब्रिज परिपथ का निर्माण  जैसे की उपर दिए गए परिपथ में दिखाया गया है की एक चतुर्भुज के चारों भुजा के अनुदिश प्रतिरोध तथा कैपेसिटर को जोड़ा गया है जिसमे एक भुजा AB के अनुदिश कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक दूसरे के समांतर तथा दूसरे भुजा AD के अनुदिश श्रेणी क्रम में जुड़े हुए है। अन्य दो भुजा BC तथा CD के अनुदिश दो प्रतिरोध जुड़े हुए है। विकर्ण BD के अनुदिश एक पोटेंसियोमीटर D को जोड़ा गया है जो इसमें प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को ज्ञात करेगा। जब यह ब्रिज परिपथ संतुलन की अवस्था में होता है तब विकर्ण BD से किसी भी प्रकार की विधुत धारा का परवाह नहीं होता है और इस दशा ...

Load Flow Study : परिभाषा , लोड फ्लो कॉम्पोनेन्ट तथा इससे प्राप्त जानकारी - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में लोड फ्लो  क्या है ? पावर इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में किसी इंटरकनेक्टेड नेटवर्क में विधुत ऊर्जा प्रवाह का आंकिक आकलन करना(Numerical Calculation) लोड फ्लो एनालिसिस या लोड फ्लो स्टडी कहलाता है। लोड फ्लो स्टडी  इलेक्ट्रिकल इंजीनियर द्वारा किए गए विद्युत नेटवर्क का विश्लेषण है। इसका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि विद्युत नेटवर्क के चारों ओर विधुत ऊर्जा कैसे प्रवाहित होती है।  लोड फ्लो अध्ययन करने से इंजीनियर को विद्युत प्रणालियों (इलेक्ट्रिकल सिस्टम) को डिजाइन करने में सहायता मिलती है तथा पावर सिस्टम के विभिन्न भाग में वोल्टेज तथा विधुत धारा का परिमाण क्या है। लोड फ्लो एनालिसिस के उपरांत डिज़ाइन किया इलेक्ट्रिकल सिस्टम सही तरीके से कार्य करता है और पावर ग्रिड द्वारा पर्याप्त  मात्रा में विधुत ऊर्जा की आपूर्ति आसानी से की जाती है। किसी पावर सिस्टम में लोड फ्लो या पावर फ्लो स्टडी से इंजीनियर सिस्टम को इस प्रकार से डिज़ाइन करता है जो वर्तमान में विधुत आपूर्ति के साथ साथ भविष्य में बढ़ते हुए विधुत लोड पर आसानी से संचालित हो सके। ...

स्काडा: परिभाषा ,उपयोग लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
स्काडा क्या है ? स्काडा (SCADA) एक संक्षिप रूप है जिसका विस्तारित रूप Supervisory Control And Data Acquisition होता है। यह एक कंप्यूटर प्रणाली है जिसमे किसी फैक्ट्री ,रिसर्च लैब आदि के विभिन्न विभागों से विभिन्न प्रकार से सूचना को प्राप्त कर उसका एनालिसिस किया जाता है तत्पश्चात उस लैब या फैक्ट्री को नियंत्रित एवं संचालित किया जाता है। स्काडा आज के आधुनिक युग में बड़े स्तर पर फैले हुए फैक्ट्री ,पावर प्लांट या रिसर्च लैब में होने वाली विभिन्न क्रियाकलापों को सुचारु रूप से नियंत्रित कर उसे संचालित करने के लिए उपयोग किया जाता है।  बड़े औद्योगिक संस्थानों में बहुत सारी  मशीने एक साथ विभिन्न प्रकार के काम करती है और इन सभी मशीनों की  निगरानी करना एक बहुत ही जटिल  काम हैं ।  इन सभी मशीनों के निगरानी तथा संचालन का कार्य SCADA Syatem आसानी से करता है और इनके  दक्षता को बनाए रखता है।  स्काडा एक सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का सम्मिलित सिस्टम है जो नियंत्रण एवं संचालन की सुविधा प्रदान करता है। इसके केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली में संचार उपकरण, नेटवर्क इंटरफेस, इनपुट/...

पावर ग्रिड : परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल ग्रिड क्या है ? ग्रिड का हिंदी मतलब जाल होता है। अर्थात इलेक्ट्रिकल ग्रिड या पावर ग्रिड एक ऐसा विधुतीय जाल है जिसमे विधुत उत्पादन केंद्र(Generating Station) ,विधुत वितरक तथा ट्रांसमिशन लाइन एक दूसरे से जुड़े हुए होते है। इस जाल में विधुत ऊर्जा का प्रवाह विधुत उत्पादन केंद्र से वितरक केंद्र के तरफ होता है। 220 kV या इससे अधिक वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा का परवाह उत्पादन केंद्र से लोड के तरफ होता है। इस उच्च वोल्टेज पर जिस लाइन से विधुत ऊर्जा का प्रवाह होता है उसे सुपर ग्रिड कहते है। 132 kV या इससे वोल्टेज पर संचालित होने वाले सबस्टेशन में विधुत ऊर्जा का परवाह सुपर ग्रिड से होता है।  इलेक्ट्रिकल ग्रिड कितने प्रकार के होते है ? पावर स्टेशन में विधुत ऊर्जा  उत्पादन उच्च वोल्टेज पर किया जाता है और पुनः इसे सबस्टेशन में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के मदद से कम कर उपभोगता को दिया जाता है। इलेक्ट्रिकल ग्रिड को मुख्य रूप से दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है : क्षेत्रीय ग्रिड या रीजनल (Regional Grid) राष्ट्रीय ग्रिड या नेशनल ग्रिड (National Grid) राष्ट्रीय ग्रिड किसे...

पावर सिस्टम स्थिरता : परिभाषा ,प्रकार तथा कारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
Power system stability क्या है ? पावर प्लांट में एक से अधिक सिंक्रोनस विधुत जनरेटर संचालित होते है और उन सभी के द्वारा उत्पन्न विधुत ऊर्जा को एक बस बार (Busbar) पर एकत्रित कर जरुरत के हिसाब से आगे की तरफ भेजा जाता है। जिस ग्रिड से विधुत ऊर्जा को भेजा जाता है उसे Sending End तथा जिस स्थान पर भेजा जाता है उसे Receving End कहते है। सेंडिंग एन्ड तथा रिसीविंग एन्ड आपस में विधुत चालक द्वारा जुड़े हुए होते जिन्हे विधुत ट्रांसमिशन लाइन कहते है। विधुत ऊर्जा का प्रवाह सेंडिंग एन्ड से रिसीविंग एन्ड की तरफ होता रहता है। सेंडिंग एन्ड ,रिसीविंग एन्ड तथा विधुत ट्रांसमिशन लाइन को आपस में पावर सिस्टम कहते है।  किसी कारणवश जब रिसीविंग एन्ड पर वोल्टेज ड्राप या कोई अतिरिक्त लोड जुड़ जाता है तब सेंडिंग एन्ड के तरफ से विधुत ऊर्जा का परवाह अचानक बढ़ जाता है जिससे सिंक्रोनस जनरेटर पर लोड बढ़ जाता है और यह तेजी से चलने लगता है। या इसके विपरीत ग्रिड से जुड़े हुए किसी जनरेटर में में कोई खराबी आ जाती है और वह काम करना बंद कर देता है तब अन्य दूसरे जनरेटर को अपने नॉर्मल क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है। पावर सिस...

RMC in Hindi : परिभाषा ,फुलफॉर्म लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

RMC full form क्या है ? यह सिविल इंजीनियरिंग में उपयोग किया जाने वाला एक शब्द है जिसका फुल फॉर्म Ready Mixed Concrete होता है। हिंदी में इसका अर्थ पहले से तैयार किया हुआ कंक्रीट है। इंडिया में जिस स्थान पर सिविल का कार्य होता है उस स्थान पर कंक्रीट को तैयार किया जाता है लेकिन जो विकसित देश है वहाँ पर पहले से तैयार कंक्रीट को गाड़ी में भर कर कार्य स्थल पर पहुंचाया जाता है।  Full Form of RMC = Ready Mixed Concrete  वर्तमान समय में इंडिया में बहुत सी कंपनीयो  ने RMC प्लांट लगा रखा है जो कार्यस्थल पर जरुरत के हिसाब से पहले से तैयार  मिक्स्ड कंक्रीट की सप्लाई करती है। इसके निर्माण के लिए आवश्यक सभी अवयव (रेत ,सीमेंट ,पानी ,पत्थर आदि) को प्लांट में रखा जाता है। इसका निर्माण एक अनुभवी इंजीनियर के देख रेख में किया जाता है। आवश्यक सभी अवयव को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर कंक्रीट को तैयार किया जाता है और उसके बाद गाड़ियों या ट्रको में भरकर इसे कार्यस्थल पर भेजा जाता है। ये गाड़िया मिक्सर ट्रक कहलाती है क्योकि ये कार्यस्थल तक मिक्स्ड कंक्रीट को घुमाते हुए लती है।  RMC का मूल...

टिम्बर : परिभाषा ,प्रकार ,गुण ,उपयोग के लाभ एवं हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
टिम्बर किसे कहते है? लकड़ी का वह प्रकार जिसका उपयोग घर या मकान के निर्माण में किया जाता है उसे Timber कहते है। इसे  हिंदी में इमारती लकड़ी कहते है। कनाडा और अमेरिका में इसे लंबर (Lumber) कहते है। मकान निर्माण में लकड़ी का उपयोग मुख्य भार को वहन करने के लिए किया जाता है। पुराने समय में लोग घर निर्माण में लकड़ी का ही उपयोग करते थे। आधुनिक समय में भवन निर्माण के लिए विशेष डायमेंशन वाले लकड़ी का उपयोग स्ट्रक्चर निर्माण के वक्त किया जाता है। इसलिए एक सिविल इंजीनियर को टिम्बर की जानकारी रखना जरुरी हो जाता है।  टिम्बर का प्रकार (Types of Timber) टिम्बर को मुख्य रूप से दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है : नरम लकड़ी (सॉफ्टवुड ) कठोर लकड़ी (हार्डवुड ) नर्म लकड़ी (Softwood ) वैसी लकड़ी जो ज्यादा कठोर नहीं होती है ,जिसका घनत्व बहुत ही कम होता है तथा आसानी से आग में जलने लगती है उसे नर्म लकड़ी की श्रेणी में रखा जाता है। इस प्रकार की लकड़ी वैसे पौधों से प्राप्त की जाती है जिनमे बीज उसके फूल में लगाने की बजाए टहनियों पर लगते है। सॉफ्ट होने की वजह से ये पौधे आसानी से कट जाते है। इन पौधों की...