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RCCB क्या है ? परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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यह एक विधुत परिपथ सुरक्षा उपकरण है। यह विधुत परिपथ में विधुत धारा लीकेज होने पर मुख्य विधुत सप्लाई से विधुत परिपथ को डिसकनेक्ट कर देता है। यह बहुत ही संवेदी होता है। विधुत परिपथ में करंट लीकेज होने पर बड़ी हानि होती है। जैसे कोई व्यक्ति परिपथ को गलती से टच करता है तो उसे विधुत का झटका लगता है जिससे उसकी मौत हो जाती है।  इस प्रकार के हानि से बचने के लिए RCCB का उपयोग किया जाता है। महंगे विधुत उपकरण की सुरक्षा के लिए भी RCCB का उपयोग किया जाता है।  RCCB Full Form  RCCB एक विधुतीय उपकरण है। इसका विस्तारित रूप रेसिडुअल करंट सर्किट ब्रेकर ( Residual Current Circuit Breaker ) होता है। जैसे नाम से ही ज्ञात होता है  यह लीकेज करंट को डिटेक्ट कर मुख्य सर्किट को डिस्कनेक्ट कर देता है।  RCCB कैसे कार्य करता है ? RCCB का मूल कार्य सिध्दांत किरचॉफ का करंट नियम है। जिसके अनुसार परिपथ के किसी जंक्शन पर आने वाले सभी विधुत धारा का योग  जंक्शन से जाने वाले सभी विधुत धारा के योग के बराबर होता है। RCCB ठीक इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। RCCB को इस प्रकार से डिज़ाइन किया जाता है क...

सौर ऊर्जा : परिभाषा ,विशेषता ,उपयोग तथा सीमा - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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सौर ऊर्जा क्या है ? हमारे सोलर सिस्टम में ऊर्जा के एक मात्र श्रोत सूर्य है। इससे विकिरण के रूप में जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसे सौर ऊर्जा कहते है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है। सौर ऊर्जा को विभिन्न तकनीकों द्वारा ऊर्जा के अन्य दूसरे रूप में परिवर्तित कर विभिन्न कार्य में उपयोग किया जाता है। जैसे सोलर प्लेट (सोलर वोल्टेइक सेल) के मदद से सौर ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। सोलर कुकर में सौर ऊर्जा से खाना पकाया जाता है। सौर जल तापन के मदद से पानी गर्म किया जाता है। यह ऊर्जा का स्वच्छ रूप है जो प्राकृति  में मुफ्त में उपलब्ध है।  सौर ऊर्जा की विशेषता क्या है ? सूर्य ऊर्जा एक प्रकृतिक ऊर्जा स्रोत है, इसलिए इसमें प्रदूषण की कोई समस्या नहीं होती।  सूर्य ऊर्जा हमेशा उपलब्ध होता है, इसलिए कभी भी कमी नहीं होती। सौर ऊर्जा बिना किसी प्राथमिक ऊर्जा श्रोत के ही प्राप्त होता है।  यह मुफ्त की ऊर्जा है।  यह एक स्वच्छ ऊर्जा है।  यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है।  इंडिया में वर्ष के 250 से 300 दिन पूर्ण सूर्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है।  इंडिया में प्रति वर्ग मीटर...

ऑप्टोकप्लर : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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ऑप्टोकप्लर  क्या है ? यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो एक प्रकाशकीय स्विच की तरह कार्य करता है। जब इसपर प्रकाश पड़ता है तब यह दो परिपथ को आपस में जोड़ देता है। इसके आंतरिक भाग में एक अवरक्त किरण उत्पन्न करने वाला LED तथा एक प्रकाश संवेदी डिवाइस होता है। जब LED से प्रकाश उत्पन्न होता है तब प्रकाश संवेदी डिवाइस उसे अवशोषित कर ऑन हो जाता  है जिससे बाहरी विधुत परिपथ कार्य करने लगता है। इसके आंतरिक संरचना को निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।  ऑप्टोकप्लर की संरचना कैसी होती है ?  जैसे की ऊपर के चित्र में दिखाया गया है की इसके आंतरिक भाग में दो विधुत सर्किट एक दूसरे से दूर स्थित है। पहली विधुत सर्किट एक अवरक्त किरण उत्पन्न करने वाली LED तथा दूसरी डिवाइस अवरक्त किरण को डिटेक्ट करने वाली है। यह एक फोटो ट्रांजिस्टर ,फोटो डायोड ,या फोटो TRAIC हो सकती है। इन दोनों के बीच मौजूद खाली जगह में पारदर्शी सीसा ,पारदर्शी प्लास्टिक या हवा हो सकता है। इसमें कुल चार पिन होता है जिसमे पहले दो पिन LED के कैथोड एंड एनोड होते है जबकि अन्य दो फोटो ट्रांजिस्टर के एमिटर तथा कलेक्टर होते है। ...

UJT : परिभाषा ,प्रकार ,उपयोग ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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UJT क्या है ? UJT एक विशेष प्रकार का अर्द्धचालक डिवाइस है जिसका पूर्ण नाम Unijunction Transistor है। जैसे नाम से ही ज्ञात होता है कि यह एक ट्रांजिस्टर है लेकिन यह साधारण ट्रांजिस्टर से बिलकुल अलग होता है। इसमें केवल एक PN Junction तथा तीन टर्मिनल होता है। इसके तीन टर्मिनल एमीटर ,बेस -1 तथा बेस -2 कहलाते है। इसका उपयोग केवल स्वीचिंग के लिए किया जाता है।  UJT सिंबल क्या है ? UJT को विधुत परिपथ में एक चित्र द्वारा दिखाया जाता है जिसे सिंबल कहते है। UJT का का सिंबल बिलकुल मॉस्फेट के सिंबल के सामान होता है लेकिन इसमें एमिटर को मुड़ी हुइ तीर द्वारा दिखाया जाता है जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है : UJT की संरचना | UJT Construction  इसका निर्माण N-टाइप तथा P-टाइप अर्द्धचालक से किया जाता है। इसके निर्माण में एक N - टाइप अर्द्धचालक के बीच में एक P -टाइप अर्द्धचालक को डाल कर PN Junction तैयार किया जाता है। P-टाइप चालक के टर्मिनल को धातु से जोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है जिसे एमीटर कहते है। इसके अतिरिक्त N टाइप अर्द्धचालक के दोनों छोर को धातु से जोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है और ये...

लॉजिक गेट क्या है ? : परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल

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लॉजिक गेट एक प्रकार का  डिजिटल  इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जिसमे एक या एक से अधिक इनपुट दिए जाने के बाद एक आउटपुट प्राप्त होता है। लॉजिक गेट डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के आधार है। लॉजिक का मतलब तर्क होता है जिसका अर्थ यह हुआ की तर्क के आधार पर बनाया गया विधुत परिपथ जो तार्किक रूप से दिए गए इनपुट के आधार पर एक आउटपुट देता है। लॉजिक गेट स्विचिंग के आधार पर तार्किक रूप से आउटपुट देते है। लॉजिक गेट का निर्माण ट्रांजिस्टर, मॉस्फेट , डायोड ,रिले आदि से बनाया जाता है। इसके इनपुट तथा आउटपुट को  समझने के लिए एक विशेष प्रकार के गणितीय फलन का उपयोग किया जाता जिसे बूलियन फलन या बूलियन Boolean Function कहते है। बूलियन फलन के इनपुट बाइनरी नंबर होते है जिसमे 0 तथा 1 का उपयोग किया जाता है। तर्क के आधार पर 0 तथा 1 का वैल्यू निर्धारित किया जाता है। जैसे किसी परिपथ के लिए 0 का अर्थ 0 वोल्ट इनपुट देना तथा 1 का अर्थ +5 वोल्ट का इनपुट देना हुआ। वही किसी मशीन की बात करे तब 0 का अर्थ मशीन को बंद करना तथा 1 का अर्थ मशीन को चालू या स्टार्ट करना हुआ। किसी स्विच के लिए 0 का अर्थ स्विच ऑफ है तथा 1 ...

रेत : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Sand क्या है ? सैंड एक बिल्डिंग मटेरियल है जिसका उपयोग सिविल इंजीनियरिंग में बिल्डिंग ,ब्रिज ,सड़क आदि के निर्माण में किया जाता है। इसे हिंदी में रेत या बालू कहते है। भवन निर्माण में सीमेंट रेत तथा पानी को आपस में मिश्रित कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। मोर्टार को मजदुर मशाला कहते है। रेत के उपयोग से निर्मित भवन के दीवारों में मजबूती आती है।   image source :unsplash.com  रेत का निर्माण कैसे होता है ? रेत को मुख्य रूप से समुन्द्र या नदियों से प्राप्त किया जाता है। नदियों या समुन्द्रो में कंकड़ या चट्टानों को आपस में टकराकर टूटने या अपरदन से होता है। ज्यादातर नदिया पहाड़ियों से निकलती है। नदियों के पानी के साथ पहाड़ो से चट्टानो के टुकड़े बहकर एक दूसरे से टकराते है और अंत में टूटकर रेत का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त समुन्द्रो में पाए जाने वाले जलीय जीव जब मरते है तब उनके हड्डियों के टूटने से भी रेत का निर्माण होता है। रेत की संरचना  रेत मूल रूप से चट्टान के टुकड़े या खनिज कणों या समुद्री सामग्री के छोटे छोटे दानेदार टुकड़ो से बनी होती है यह मुख्य रूप से सिलिकेट...

ट्रांसफार्मर: परिभाषा ,प्रकार ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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ट्रांसफार्मर क्या है? | Transformer Kya hai ट्रांसफार्मर एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल मशीन है जो विधुत ऊर्जा को इसके वोल्टेज स्तर में परिवर्तन के साथ एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर करता है। इस ऊर्जा ट्रांसफर में विधुत ऊर्जा के फ्रीक्वेंसी में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है। ट्रांसफार्मर में विधुत ऊर्जा का एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर एक चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति में होता है। बिना चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति विधुत ऊर्जा का ट्रांसफार्मर संभव नहीं है। चूँकि ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार का घूमने वाला भाग नहीं होता है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का घर्षण नहीं उत्पन्न होता है जिससे घर्षण ऊर्जा के रूप में ऊर्जा हानि नहीं होती है इसलिए ट्रांसफार्मर की दक्षता सबसे ज्यादा होती है। ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है? | Transformer Hindi ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत बहुत ही सरल है। यह दो या दो से अधिक Coil में उत्पन्न म्यूच्यूअल  इंडक्शन सिद्धांत पर कार्य करता है। Mutual Induction सिद्धांत फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिद्धांत को ही कहते है। इस सिद्धा...