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वेन ब्रिज Oscillator : परिभाषा ,सर्किट डायग्राम ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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वेन ब्रिज Oscillator क्या है ? यह एक खास प्रकार का दोलित्र है जिसमे आवर्ती प्रकृति का तरंग उत्पन्न करने के लिए मैक्स वेन द्वारा विकशित वेन ब्रिज सर्किट का उपयोग किया जाता है।इससे साइन वेव उत्पन्न किया जाता है। वेन ब्रिज सर्किट में चार प्रतिरोध तथा दो कैपेसिटर एक दूसरे के साथ चतुर्भुज के आकार जुड़े हुए होते है जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।  जैसे की निचे के परिपथ में दिखाया गया है चतुर्भुज के दो भुजा में केवल प्रतिरोध  जुड़े हुए है त था अन्य दो भुजा के में प्रतिरोध तथा कैपेसिटर जुड़े जुड़े हुए है जिनमे  (R 1  तथा C 1 ) श्रेणी तथा  (R 2   तथा C 2  ) समान्तर क्रम में जुड़े हुए है। श्रेणी क्रम में जुड़े हुए कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक High Pass Filter तथा समांतर क्रम वाला कैपेसिटर तथा प्रतिरोध Low Pass Filter की तरह कार्य करता है। इसलिए इन दोनों भुजाओ को Frequency सेंसिटिव  भुजा कहते है क्योकि ये दोनों भुजा एक निश्चित Frequency पर ही इनपुट को एम्पलीफायर में प्रवेश करने देती है। जिस Frequency पर वेन ब्रिज Oscillator कार्य करता है उसे Resonant Fre...

लुब्रीकेंट : परिभाषा ,प्रकार,गुण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्नेहक किसे कहते है ? वैसा पदार्थ जो किसी दो घूमने वाली सतह के बीच लगाने से उनका घर्षण कम हो जाता है उसे स्नेहक कहते है।स्नेहक को अंग्रेजी में लुब्रीकेंट कहते है। दो सतहों के बीच लुब्रीकेंट के प्रयोग से उनके बीच चिकनाहट आ जाती है जिससे घर्षण कम हो जाता है। दोनों सतहों के बीच चिकनाहट लाना लुब्रिकेशन कहलाता है। इंजीनियरिंग में बहुत सारी मशीन एक दूसरे से शाफ़्ट या बेल्ट के माध्यम से जुडी हुई होती है  तथा सापेक्षिक गति करती है जिनमे घर्षण के कारण ऊर्जा के एक भाग स्वतः नष्ट हो जाता है। या मशीने घीसकर नष्ट हो जाती है। मशीनों में इस प्रकार से होने वाली हानि या नुकशान को कम करने के लिए उनंके बीच लुब्रीकेंट का उपयोग किया जाता है। लुब्रीकेंट विभिन्न प्रकार के होते है जिनका वर्गीकरण निचे किया गया है।  उच्च श्रेणी के लुब्रीकेंट के पास क्या  गुण होने चाहिए ? एक उच्च किस्म के लुब्रीकेंट के पास निम्न गुण होने चाहिए : लुब्रीकेंट के श्यानता (Viscocity) की रेंज ज्यादा होनी चाहिए।  तापमान  के साथ श्यानता में परिवर्तन नहीं  होना चाहिए।  लुब्रीकेंट रासायनिक रूप से अक्रिय हो...

जैव ईंधन: परिभाषा ,प्रकार ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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जैव ईंधन क्या है ?(biofuel kya hai) कोई भी पदार्थ जिसके जलने से प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे ईंधन कहते है। जब यह ईंधन कृषि उत्पाद से प्राप्त होती है तब इसे जैव ईंधन कहते है। विभिन्न प्रकार की फसलों तथा पौधों से जैव ईंधन प्राप्त किए जाते है। जैव ईंधन को तकनीक के मदद से गतिज ऊर्जा ,उष्मीय ऊर्जा ,विधुत ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जाता है। प्रकृति में मौजूद सभी प्रकार के वनस्पति तथा जीव पदार्थ को बायोमास कहते है। जैव ईंधन का उपयोग करना आसान है तथा ये प्रकृति रूप से आसानी से संश्लेषित हो जाते है। इनमे सल्फर तथा गंध की मात्रा नहीं पाई जाती है।  हमारे सौरमंडल में ऊर्जा का मुख्य श्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा को पौधे प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया से जैव ईंधन में परिवर्तित करते है। पौधों में यह जैव ऊर्जा विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरते हुए विभिन्न प्रकार के ऊर्जा श्रोत का निर्माण करती है। उदारहण के लिए मवेशी पौधों के पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करते है और गोबर करते है। इस गोबर को जलाकर उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न किया जाता है।  जैव ईंधन कितने प्रकार के होते है ? ...

वेन ब्रिज : परिभाषा ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Wien Bridge क्या है ? यह एक प्रकार का ए०सी ब्रिज सर्किट है जिसका उपयोग अज्ञात कपैसिटर का Capacitance ज्ञात करने के साथ HF Frequency Oscillator में किया जाता है। इस सर्किट में कुल चार प्रतिरोध तथा दो कपैसिटर का उपयोग किया जाता है। इस परिपथ को पहली बार 1891 में मैक्स वेन ने  Develop किया था। यह ब्रिज सर्किट व्हीटस्टोन ब्रिज की तरह संतुलन की अवस्था में कार्य करता है। एक वेन ब्रिज परिपथ को निचे के चित्र में दिखाया गया है।  वेन ब्रिज परिपथ का निर्माण  जैसे की उपर दिए गए परिपथ में दिखाया गया है की एक चतुर्भुज के चारों भुजा के अनुदिश प्रतिरोध तथा कैपेसिटर को जोड़ा गया है जिसमे एक भुजा AB के अनुदिश कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक दूसरे के समांतर तथा दूसरे भुजा AD के अनुदिश श्रेणी क्रम में जुड़े हुए है। अन्य दो भुजा BC तथा CD के अनुदिश दो प्रतिरोध जुड़े हुए है। विकर्ण BD के अनुदिश एक पोटेंसियोमीटर D को जोड़ा गया है जो इसमें प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को ज्ञात करेगा। जब यह ब्रिज परिपथ संतुलन की अवस्था में होता है तब विकर्ण BD से किसी भी प्रकार की विधुत धारा का परवाह नहीं होता है और इस दशा ...

Load Flow Study : परिभाषा , लोड फ्लो कॉम्पोनेन्ट तथा इससे प्राप्त जानकारी - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में लोड फ्लो  क्या है ? पावर इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में किसी इंटरकनेक्टेड नेटवर्क में विधुत ऊर्जा प्रवाह का आंकिक आकलन करना(Numerical Calculation) लोड फ्लो एनालिसिस या लोड फ्लो स्टडी कहलाता है। लोड फ्लो स्टडी  इलेक्ट्रिकल इंजीनियर द्वारा किए गए विद्युत नेटवर्क का विश्लेषण है। इसका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि विद्युत नेटवर्क के चारों ओर विधुत ऊर्जा कैसे प्रवाहित होती है।  लोड फ्लो अध्ययन करने से इंजीनियर को विद्युत प्रणालियों (इलेक्ट्रिकल सिस्टम) को डिजाइन करने में सहायता मिलती है तथा पावर सिस्टम के विभिन्न भाग में वोल्टेज तथा विधुत धारा का परिमाण क्या है। लोड फ्लो एनालिसिस के उपरांत डिज़ाइन किया इलेक्ट्रिकल सिस्टम सही तरीके से कार्य करता है और पावर ग्रिड द्वारा पर्याप्त  मात्रा में विधुत ऊर्जा की आपूर्ति आसानी से की जाती है। किसी पावर सिस्टम में लोड फ्लो या पावर फ्लो स्टडी से इंजीनियर सिस्टम को इस प्रकार से डिज़ाइन करता है जो वर्तमान में विधुत आपूर्ति के साथ साथ भविष्य में बढ़ते हुए विधुत लोड पर आसानी से संचालित हो सके। ...

स्काडा: परिभाषा ,उपयोग लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्काडा क्या है ? स्काडा (SCADA) एक संक्षिप रूप है जिसका विस्तारित रूप Supervisory Control And Data Acquisition होता है। यह एक कंप्यूटर प्रणाली है जिसमे किसी फैक्ट्री ,रिसर्च लैब आदि के विभिन्न विभागों से विभिन्न प्रकार से सूचना को प्राप्त कर उसका एनालिसिस किया जाता है तत्पश्चात उस लैब या फैक्ट्री को नियंत्रित एवं संचालित किया जाता है। स्काडा आज के आधुनिक युग में बड़े स्तर पर फैले हुए फैक्ट्री ,पावर प्लांट या रिसर्च लैब में होने वाली विभिन्न क्रियाकलापों को सुचारु रूप से नियंत्रित कर उसे संचालित करने के लिए उपयोग किया जाता है।  बड़े औद्योगिक संस्थानों में बहुत सारी  मशीने एक साथ विभिन्न प्रकार के काम करती है और इन सभी मशीनों की  निगरानी करना एक बहुत ही जटिल  काम हैं ।  इन सभी मशीनों के निगरानी तथा संचालन का कार्य SCADA Syatem आसानी से करता है और इनके  दक्षता को बनाए रखता है।  स्काडा एक सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का सम्मिलित सिस्टम है जो नियंत्रण एवं संचालन की सुविधा प्रदान करता है। इसके केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली में संचार उपकरण, नेटवर्क इंटरफेस, इनपुट/...

पावर ग्रिड : परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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इलेक्ट्रिकल ग्रिड क्या है ? ग्रिड का हिंदी मतलब जाल होता है। अर्थात इलेक्ट्रिकल ग्रिड या पावर ग्रिड एक ऐसा विधुतीय जाल है जिसमे विधुत उत्पादन केंद्र(Generating Station) ,विधुत वितरक तथा ट्रांसमिशन लाइन एक दूसरे से जुड़े हुए होते है। इस जाल में विधुत ऊर्जा का प्रवाह विधुत उत्पादन केंद्र से वितरक केंद्र के तरफ होता है। 220 kV या इससे अधिक वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा का परवाह उत्पादन केंद्र से लोड के तरफ होता है। इस उच्च वोल्टेज पर जिस लाइन से विधुत ऊर्जा का प्रवाह होता है उसे सुपर ग्रिड कहते है। 132 kV या इससे वोल्टेज पर संचालित होने वाले सबस्टेशन में विधुत ऊर्जा का परवाह सुपर ग्रिड से होता है।  इलेक्ट्रिकल ग्रिड कितने प्रकार के होते है ? पावर स्टेशन में विधुत ऊर्जा  उत्पादन उच्च वोल्टेज पर किया जाता है और पुनः इसे सबस्टेशन में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के मदद से कम कर उपभोगता को दिया जाता है। इलेक्ट्रिकल ग्रिड को मुख्य रूप से दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है : क्षेत्रीय ग्रिड या रीजनल (Regional Grid) राष्ट्रीय ग्रिड या नेशनल ग्रिड (National Grid) राष्ट्रीय ग्रिड किसे...